• October 14, 2025

Saras Aajeevika Mela: झारखंडी महिलाओं ने सरस आजीविका मेले में मचाई धूम, 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया

 Saras Aajeevika Mela: झारखंडी महिलाओं ने सरस आजीविका मेले में मचाई धूम, 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया
Sharing Is Caring:
Saras Aajeevika Mela: झारखंडी महिलाओं ने सरस आजीविका मेले में मचाई धूम, 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया

नई दिल्ली, 22 सितंबर। नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 5 से 22 सितंबर तक आयोजित सरस आजीविका मेले में झारखंड की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी उद्यमिता, हुनर और पारंपरिक कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया। मेले में झारखंडी ब्रांड पलाश और आदिवा के सात स्टॉलों के माध्यम से महिलाओं ने कुल 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। इस आयोजन में महिलाओं ने न केवल अपनी व्यावसायिक क्षमता दिखाई, बल्कि अपने पारंपरिक व्यंजनों, हस्तशिल्प और आभूषणों के माध्यम से राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान भी बनाई।

मेले में पलाश ब्रांड के तहत उपलब्ध उत्पादों में रागी लड्डू, शुद्ध शहद, काले गेहूं का आटा, अरहर दाल जैसे खाद्य उत्पाद शामिल थे। इसके साथ ही साबुन, लेमन ग्रास ऑइल और अन्य गैर-खाद्य उत्पाद भी दिल्लीवासियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रहे। पूरे मेले के दौरान इन उत्पादों की बिक्री 25 लाख रुपये से अधिक रही, जो झारखंड की ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, समर्पण और नवाचार का प्रतीक है। हर उत्पाद में उनकी परंपरा, कौशल और आधुनिक तकनीक का मिश्रण देखने को मिला, जिससे पलाश ब्रांड ने राष्ट्रीय मंच पर एक अलग पहचान बनाई।

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने मेले का दौरा किया और महिलाओं के स्टॉलों पर जाकर उनके उत्पादों का अवलोकन किया। उन्होंने महिलाओं की मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय मंच पर अपनी कला और उत्पाद प्रदर्शित करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि झारखंड सरकार इन महिलाओं के उत्पादों को और विकसित करने में हर संभव सहयोग करेगी।

मेले में गोड्डा की सोनी देवी ने पहली बार अपनी तसर सिल्क की साड़ियाँ, सूट पीस और दुपट्टे प्रदर्शित किए और लगभग 3 लाख रुपये का कारोबार किया। उन्होंने बताया कि मेले ने उन्हें केवल बिक्री का अवसर ही नहीं दिया बल्कि अन्य राज्यों की महिलाओं से सीखने और अनुभव साझा करने का भी अवसर प्रदान किया।

आदिवा ब्रांड के माध्यम से झारखंडी पारंपरिक आभूषणों को भी राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली। मेले में आदिवा स्टॉल पर 200 रुपये के झुमकों से लेकर 5-6 हजार रुपये तक के चाँदी और अन्य धातुओं के हस्तनिर्मित आभूषण उपलब्ध थे। दिल्लीवासियों ने पारंपरिक झुमके, कंगना, डबल झुमका और अन्य धातु आधारित आभूषणों को अत्यधिक पसंद किया। यह ब्रांड ग्रामीण महिलाओं की पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने और उन्हें आधुनिक बाजार में पहचान दिलाने में सफल रहा।

68b129e5 600e 4dac aaea 5620a7df7a4e

सरस मेले में झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों ने भी लोगों का दिल जीता। सखी मंडल की महिलाओं द्वारा बनाए गए धूसका, दाल पीठा और घूग्नि जैसे व्यंजन दिल्लीवासियों में बेहद लोकप्रिय हुए और इनसे 3 लाख रुपये से अधिक का कारोबार हुआ। मेले के अंतिम दिन झारखंड को लाइव फूड श्रेणी में तीसरे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ग्रामीण विकास मंत्री ने इन व्यंजनों का स्वाद लिया और महिलाओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित किया।

इस मेले में पत्रकार दीदी के रूप में झारखंड की सुनीता ने मेले की पूरी रिपोर्टिंग की। उन्होंने सोशल मीडिया सामग्री तैयार की, विभिन्न राज्यों की महिलाओं की कहानियाँ साझा कीं और ग्राहकों तथा आयोजकों के अनुभवों को दस्तावेजीकृत किया। इस पहल ने यह साबित किया कि झारखंड की महिलाएँ अब केवल उत्पादन और बिक्री तक सीमित नहीं हैं बल्कि मीडिया और संवाद के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इस प्रकार, सरस आजीविका मेले ने झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को राष्ट्रीय मंच पर अपनी कला, उत्पाद और व्यंजन प्रदर्शित करने का अवसर दिया और उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इस मेले में इन महिलाओं के प्रयास और प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि उनके हुनर, समर्पण और व्यवसायिक क्षमता के साथ वे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकती हैं।

Sharing Is Caring:

Admin

https://nirmanshalatimes.com/

A short bio about the author can be here....

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *