IITF Delhi, Jharkhand pavilion: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखंड पवेलियन की शान बना वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल
IITF Delhi, Jharkhand pavilion: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखंड पवेलियन की शान बना वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल
दिल्ली के प्रगति मैदान में जारी भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखंड पवेलियन का वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का स्टॉल इस वर्ष सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। झारखंड की प्राकृतिक समृद्धि, पारंपरिक उत्पाद और जैव विविधता को दर्शाता यह स्टॉल आगंतुकों को राज्य की अनोखी पहचान से रूबरू करा रहा है। यहां लोग न सिर्फ झारखंड के जंगलों और वन्यजीवों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि शुद्ध प्राकृतिक शहद, लाह, रेशम से बने हस्तशिल्प और ऑर्गैनिक उत्पाद खरीदने में भी गहरी रुचि दिखा रहे हैं।
झारखंड के वनों की समृद्ध विरासत और प्रमुख वन उत्पाद
वन क्षेत्र पदाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि झारखंड में 31.8% क्षेत्र वन संपदा से घिरा हुआ है, जो इसकी हरियाली और प्राकृतिक धरोहर को विशेष बनाता है। झारखंड के जंगलों में सबसे अधिकता शाल के वृक्षों की है, जिनकी लकड़ी घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए देशभर में मशहूर है। इसके अलावा गमहार, सीसम, सागवान जैसे वृक्ष भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
सौंदर्यीकरण के लिए गुलमोहर, जकरन्दा, प्लेटोफार्म और अमलतास जैसे पेड़ वातावरण को और भी मनमोहक बनाते हैं। झारखंड के बांस के जंगल ग्रामीणों और उद्यमियों के लिए आय का बड़ा माध्यम हैं।

विभाग की स्टॉल पर इस वर्ष राजमहल क्षेत्र के प्राकृतिक उत्पाद आगंतुकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं। राज्य का शुद्ध प्राकृतिक शहद — विशेष रूप से लीची, करंज, वन तुलसी और वाइल्ड हनी — मेले का मुख्य आकर्षण बने हुए हैं।
वनों से प्राप्त ऑर्गैनिक काजू, शहद और लाह जैसी बहुमूल्य वन संपदाएं बड़े पैमाने पर प्रदर्शित की जा रही हैं। झारखंड की धरती में पाई जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियाँ — शतावर, गोखरू, कालमेघ, नीम, अर्जुन, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, हड़जोड़, कचनार और भृंगराज — अपनी गुणवत्ता के कारण देशभर में लगातार उच्च मांग बना रही हैं।
वन्यजीव संरक्षण में झारखंड का मजबूत मॉडल
राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि विभाग वनों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों को साथ लेकर वन समिति का गठन करता है, जिससे वन सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन को लगातार मजबूती मिलती है। यही समितियाँ वनों में उपलब्ध उत्पादों का प्रसंस्करण और विपणन भी करती हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।
वन्यजीव संरक्षण में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। राज्य में—
• 1 व्याघ्र आरक्ष्य (पलामू बेतला)
• 1 गज आरक्ष्य (सिंहभूम दलमा)
• 1 राष्ट्रीय उद्यान (बेतला नेशनल पार्क)
• 11 वन्य प्राणी आश्रयणी, जैसे—
हजारीबाग, कोडरमा, गौतम बुद्ध, पालकोट, महुआडांड़ भेड़िया, पलामू, तोपचांची, लावालौंग, उधवा पक्षी आश्रयणी आदि
• 1 जैविक उद्यान (ओरमांझी रांची)
• 1 मृग विहार (कालामाटी रांची)
• 1 मगर प्रजनन केंद्र (रांची)
इन स्थानों पर in-situ और ex-situ संरक्षण की अत्याधुनिक व्यवस्थाओं के माध्यम से वन्यजीवों का संरक्षण किया जाता है। झारखंड पवेलियन में इन सभी जानकारियों को आकर्षक तरीके से प्रदर्शित किया गया है, जिसे जानने के लिए लोगों की भीड़ लगातार उमड़ रही है।