IITF में झारखंड पैविलियन बना नारी शक्ति का प्रतीक: महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों और लाइव तसर सिल्क डेमो ने खींचा ध्यान
IITF में झारखंड पैविलियन बना नारी शक्ति का प्रतीक: महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों और लाइव तसर सिल्क डेमो ने खींचा ध्यान
अहमद हसन :-
नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) में इस वर्ष झारखंड पैविलियन ने अपनी अनूठी थीम और महिला-केंद्रित प्रदर्शनों के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। झारखंड सरकार इस बार राज्य की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है, जिसके परिणाम स्वरूप पैविलियन में महिला कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के कौशल, श्रम और रचनात्मकता से तैयार उत्पादों की धूम है।
पैविलियन के मुख्य आकर्षण:
तसर सिल्क का लाइव डेमो: पैविलियन का सबसे बड़ा आकर्षण तसर सिल्क कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया का प्रत्यक्ष लाइव डेमो है। प्रशिक्षित महिला कारीगर आगंतुकों को समझाती हैं कि किस तरह प्राकृतिक कोकून को उबालकर धागा निकाला जाता है और फिर उसे सूत में बदला जाता है। इसके ठीक आगे “तम्सुम” उसी धागे से करघे पर कपड़ा तैयार करने की प्रक्रिया का प्रदर्शन करती हैं। यह प्रदर्शन झारखंड के तसर उद्योग की समृद्ध परंपरा और उसमें महिलाओं की निर्णायक भूमिका को उजागर करता है, जो ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का स्थायी स्रोत बन रहा है।
महिला स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल: विभिन्न SHGs के स्टॉल हस्तनिर्मित वस्त्र, हस्तशिल्प उत्पाद, प्राकृतिक और जैविक सामग्रियाँ, तसर सिल्क परिधान और घरेलू सजावट की वस्तुएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। इन स्टॉलों पर दिख रही उत्पादों की विविधता, गुणवत्ता और पारंपरिकता झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप दे रही है।
लाख चूड़ी हस्तशिल्प: झबर मल द्वारा संचालित लाख चूड़ी हस्तशिल्प का स्टॉल भी विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है। वह बताते हैं कि उनके संगठन में लगभग 400 महिलाएँ लाख की चूड़ियाँ बनाती हैं, जिससे उन्हें स्थायी आजीविका मिलती है।
झारखंड पैविलियन केवल कला और संस्कृति का प्रदर्शन भर नहीं है, बल्कि यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि किस प्रकार राज्य की महिलाएँ अपने कौशल, परंपरा और मेहनत के बल पर न केवल रोजगार प्राप्त कर रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर झारखंड के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। यह पैविलियन “रोजगार से आत्मनिर्भरता तक” के सफर को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत कर रहा है।