• September 10, 2025

Himalaya Bachao Abhiyan 2025: मुख्यमंत्री ने “हिमालय बचाओ अभियान-2025” कार्यक्रम में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण की अपील की

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Himalaya Bachao Abhiyan 2025: मुख्यमंत्री ने “हिमालय बचाओ अभियान-2025” कार्यक्रम में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण की अपील की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मसूरी रोड स्थित एक होटल में हिन्दुस्तान समाचार पत्र द्वारा आयोजित ’’हिमालय बचाओ अभियान-2025’’ कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया और हिमालय के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करने के उद्देश्य से हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने वर्ष 2012 में “हिमालय बचाओ अभियान“ की शुरूआत की थी। आज यह अभियान जन-जन तक पहुँच चुका है और लोग इससे जुड़कर हिमालय के संरक्षण के प्रति जागरूक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारे देश की आत्मा, संस्कृति और प्रकृति की अमूल्य धरोहर है। यहाँ से निकलने वाली जीवनदायिनी नदियां करोड़ों लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराती हैं और ऊर्जा का भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिमालय में पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां और जीव-जंतु पर्यावरण की अनमोल धरोहर हैं, जिनका संरक्षण आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय के संरक्षण के लिए विकास के साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हिमालयी क्षेत्रों में वन संरक्षण, जल संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। पौधारोपण, जल संरक्षण अभियान और पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हिमालय के संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, जिसे राज्य सरकार सस्टेनेबल टूरिज्म के माध्यम से बढ़ावा दे रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य में प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन हेतु डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम प्रारंभ किया गया, जिससे हिमालयी क्षेत्र में 72 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सफलता मिली है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हिमालय को संरक्षित रखने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखते हुए जीवन जीते हैं। उनके अनुभव, ज्ञान और परंपराएं पर्यावरण संरक्षण नीति में शामिल किए जाने चाहिए। जब प्रत्येक व्यक्ति हिमालय के संरक्षण के प्रति जागरूक होकर अपनी जिम्मेदारी समझेगा, तभी यह अनमोल धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सकेगी।

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