Haridwar Land scam: हरिद्वार जमीन घोटाला: सीएम धामी की बड़ी कार्रवाई, दो IAS, एक PCS सहित 10 अधिकारी निलंबित, दो का सेवा विस्तार समाप्त

Haridwar Land scam: हरिद्वार जमीन घोटाला: सीएम धामी की बड़ी कार्रवाई, दो IAS, एक PCS सहित 10 अधिकारी निलंबित, दो का सेवा विस्तार समाप्त
हरिद्वार, 2 जून 2025: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार नगर निगम में हुए बहुचर्चित भूमि घोटाले पर कड़ा रुख अपनाते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर बड़ा प्रहार किया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब तक इस प्रकरण में दो IAS, एक PCS अधिकारी सहित कुल 10 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि दो अन्य अधिकारियों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री की सख्ती तब सामने आई जब ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदे जाने की बात उजागर हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने सचिव रणवीर सिंह चौहान से प्रारंभिक जांच कराई, जिन्होंने 29 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसी रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंगलवार को जिन 7 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया, उनमें हरिद्वार के डीएम, पूर्व नगर आयुक्त, एसडीएम सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं:
निलंबित अधिकारी (नवीन कार्रवाई):
-
कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार
-
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार
-
अजयवीर सिंह – तत्कालीन उप जिलाधिकारी, हरिद्वार
-
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार
-
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
-
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार
-
कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
पूर्व में की गई कार्रवाई:
8. रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
9. आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
10. लक्ष्मी कांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
11. दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (निलंबित)
12. वेदपाल – सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
मुख्यमंत्री धामी ने साफ कहा, “हमारी सरकार ने पहले दिन से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकसेवा में पद नहीं, बल्कि कर्तव्य और जवाबदेही महत्वपूर्ण हैं। चाहे कोई कितना भी वरिष्ठ अधिकारी क्यों न हो, यदि वह जनहित और नियमों की अनदेखी करता है, तो उस पर कार्रवाई निश्चित है।”
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में सरकार एक भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति की स्थापना करना चाहती है और सभी लोक सेवकों को पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों पर खरा उतरना होगा।
इस कार्रवाई के बाद राज्यभर के प्रशासनिक महकमे में हलचल है और यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री धामी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को सिर्फ कहने तक नहीं, क्रियान्वयन में भी उतारने को प्रतिबद्ध हैं।