• October 13, 2025

Female Farmers Empowerment: गुंटूर की मीराबी ने प्राकृतिक खेती से बदल दी 230 महिला किसानों की जिंदगी

 Female Farmers Empowerment: गुंटूर की मीराबी ने प्राकृतिक खेती से बदल दी 230 महिला किसानों की जिंदगी
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Female Farmers Empowerment: गुंटूर की मीराबी ने प्राकृतिक खेती से बदल दी 230 महिला किसानों की जिंदगी

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के पोननूर गांव की के. मीराबी ने कठिनाइयों के बावजूद अपने हौसले और मेहनत से दुनिया को दिखा दिया कि प्राकृतिक खेती कितनी फायदेमंद और प्रभावशाली हो सकती है। मीराबी की जिंदगी शुरू से ही संघर्षों से भरी रही। छठी कक्षा में आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और 11 साल की उम्र में शादी कर दी। 14 साल की उम्र तक वे दो बच्चों की मां बन गईं। लेकिन मीराबी ने कभी हिम्मत नहीं हारी और यह ठाना कि वह कुछ बड़ा हासिल करेंगी।

उनकी जिंदगी की दिशा बदल गई, जब 2008 में उनके पति वेंकट राव को जहरीले कीटनाशकों के धुएं से ब्रेन स्ट्रोक हुआ और उन्हें लकवा मार गया। इस घटना ने मीराबी को यह समझाया कि रासायनिक खेती उनके परिवार और फसलों दोनों के लिए खतरा है। इसी के चलते उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने का फैसला किया।

2009 में मीराबी रायथु साधिकारा संस्था (RySS) में मुख्य संसाधन व्यक्ति के रूप में जुड़ीं। उनके प्रयासों से महिला किसानों में जागरूकता बढ़ी और उन्हें रासायन-मुक्त खेती की ओर आकर्षित किया गया। 2019 से मीराबी संस्था की मास्टर ट्रेनर और उप-विभागीय एंकर बन गई हैं।

मीराबी ने प्री-सीजनल ड्राई बुआई (PMDS) और ड्रिब्लिंग तकनीक जैसी नवाचार तकनीकों को अपनाया, जिससे वह एक ही वर्ष में 30 अलग-अलग फसलें उगा सकीं। 2012 में उन्होंने सिर्फ एक एकड़ जमीन पर रासायन-मुक्त खेती शुरू की। इसके लिए लागत केवल 19,000 रुपये आई, लेकिन मुनाफा 1.5 लाख रुपये तक पहुंच गया। उनकी उपज की गुणवत्ता देखकर सभी दंग रह गए।

मीराबी ने अब तक 230 महिला किसानों को प्रशिक्षित किया है। ये महिलाएं अब प्राकृतिक खेती करके अच्छे मुनाफे कमा रही हैं और उनकी उपज खास बाजारों में बिक रही है। इससे उन्हें सम्मान और आत्मनिर्भरता दोनों मिल रही है।

2024 में मीराबी को यूनाइटेड किंगडम के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में आयोजित Oxford Real Farming Conference में भारत और आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने अनुभव साझा किए, जो किसी ग्रामीण महिला किसान के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि थी। RySS के उपाध्यक्ष विजय कुमार और पर्यावरण अर्थशास्त्री पवन सुखदेव ने भी उनके प्रयासों की सराहना की।

आज मीराबी का ‘Meerabi Model’ पूरे राज्य में अपनाया जा रहा है। यह केवल एक महिला की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि महिलाओं को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने वाला आंदोलन बन गया है। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि मजबूत इरादे और मेहनत से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। प्राकृतिक खेती अब किसानों के लिए पर्यावरण हितकारी और आर्थिक रूप से लाभकारी विकल्प बन चुकी है।

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