NRLM Success Story: ग्रामोत्थान परियोजना से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं श्रीमती पुष्पा, संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणास्पद सफर

NRLM Success Story: ग्रामोत्थान परियोजना से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं श्रीमती पुष्पा, संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणास्पद सफर
हरिद्वार जनपद के नारसन विकासखंड के छोटे से गांव ठसका की एक महिला आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। श्रीमती पुष्पा, जो कभी आर्थिक तंगी और सामाजिक सीमाओं से जूझती थीं, आज अपनी मेहनत, समर्पण और ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ-साथ समाज में आत्मगौरव के साथ जीवन जी रही हैं।
मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के नेतृत्व में हरिद्वार जनपद में ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, फार्म और नॉन-फार्म एंटरप्राइजेज, और सामुदायिक आधारित संगठनों (CBOs) के माध्यम से ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लगातार प्रयास हो रहे हैं। इस परियोजना का उद्देश्य है – सबसे गरीब तबके तक पहुँचकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उद्यमिता को बढ़ावा देना।
इसी कड़ी में एक प्रेरणादायक नाम है श्रीमती पुष्पा का, जो एकता स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं और सपना सीएलएफ से भी जुड़ी हैं। उन्होंने जीवन में कठिनाइयों को बहुत करीब से देखा है। कभी उनके पास कोई आय का स्रोत नहीं था और परिवार की जरूरतें पूरी करना चुनौती बना हुआ था। लेकिन जब उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से जुड़कर ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्राप्त किया, तो उनकी सोच और दिशा दोनों बदल गईं।
परियोजना स्टाफ के नियमित सहयोग और मार्गदर्शन के बाद उन्होंने डेयरी व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में उनके लिए एक ठोस व्यवसाय योजना तैयार की गई। इस योजना के अनुसार उन्हें 1,50,000 रुपये का ऋण प्राप्त हुआ, जिसमें 75,000 रुपये उनकी स्वयं की भागीदारी थी और 75,000 रुपये ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से मिला।
इस पूंजी से उन्होंने दो भैंसें खरीदीं और डेयरी का कार्य आरंभ किया। शुरुआत में यह एक चुनौतीपूर्ण कदम था, लेकिन उनके आत्मविश्वास और लगन ने उन्हें कभी पीछे मुड़ने नहीं दिया। आज वे प्रतिदिन लगभग 14 लीटर दूध निकालती हैं, जिसमें से 12 लीटर स्थानीय बाजार में बेच देती हैं। इस बिक्री से उन्हें हर महीने 13,000 से 14,000 रुपये की शुद्ध आय हो रही है।
उनकी इस कमाई से न केवल उनका परिवार आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि अब वे समाज में आत्मसम्मान के साथ खड़ी हैं। उनके बच्चों की शिक्षा, घर की जरूरतें और स्वास्थ्य संबंधी खर्च अब आसानी से पूरे हो पा रहे हैं।
श्रीमती पुष्पा कहती हैं कि ग्रामोत्थान परियोजना ने न सिर्फ उन्हें आर्थिक सहारा दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया। “यदि सही दिशा, मार्गदर्शन और योजनाबद्ध सहयोग मिले तो गांव की महिलाएं भी किसी से पीछे नहीं हैं। हम भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं”।