Gramotthan Pariyojana: ग्रामोत्थान परियोजना बनी ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक रीढ़: टिहरी में 855 महिलाएं कर रही स्वरोजगार

Gramotthan Pariyojana: ग्रामोत्थान परियोजना बनी ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक रीढ़: टिहरी में 855 महिलाएं कर रही स्वरोजगार
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रही ‘ग्रामोत्थान परियोजना’ टिहरी गढ़वाल जिले की ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़े बदलाव की कहानी लिख रही है। इस परियोजना ने न केवल ग्रामीण आर्थिकी को संबल प्रदान किया है, बल्कि महिलाओं को घर बैठे सम्मानजनक और सतत् आय अर्जित करने का मजबूत जरिया भी दिया है। जनपद की 855 महिलाएं आज विभिन्न प्रकार के लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के माध्यम से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।
जिला परियोजना प्रबंधक सरिता जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना के तहत जिले में 26 क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) का गठन किया गया है। इन फेडरेशनों के माध्यम से बकरी पालन, डेयरी यूनिट, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन, ब्यूटी पार्लर, सिलाई केंद्र, रिटेल शॉप, फर्नीचर निर्माण, ढाबा, रेस्टोरेंट और फूड प्रोसेसिंग यूनिट जैसे विविध व्यवसायों की स्थापना और संचालन किया जा रहा है। इन कार्यों से महिलाएं घर पर रहकर ही अपनी आय में इज़ाफा कर रही हैं और अपने परिवार को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही हैं।
परियोजना में शामिल उद्यमों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है—कृषि आधारित योजनाएं, गैर कृषि आधारित योजनाएं और एक्स्ट्रीम व अल्ट्रा पुअर योजनाएं। कृषि आधारित योजनाओं के तहत 183 ग्रामीणों को, गैर कृषि आधारित व्यवसायों के अंतर्गत 85 को, और सबसे वंचित वर्ग (अति गरीब) में 577 ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया है।
ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता का स्वरूप भी बेहद व्यावहारिक और सहयोगी है। कृषि व व्यक्तिगत उद्यम योजना के तहत परियोजना का 30 प्रतिशत अंशदान होता है, जबकि लाभार्थी से 20 प्रतिशत अंशदान लिया जाता है। शेष 50 प्रतिशत धनराशि बैंक ऋण के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रणाली से ग्रामीणों को स्वरोजगार प्रारंभ करने में सरलता होती है और वे ऋण चुकाने के दबाव से भी बचते हैं।
देवप्रयाग विकासखंड के डोबरी गांव की राजेश्वरी देवी इसका एक प्रेरणादायी उदाहरण हैं। उन्होंने व्यक्तिगत उद्यम योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में बकरी पालन का कार्य शुरू किया है। राजेश्वरी बताती हैं कि ग्रामोत्थान परियोजना ने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है बल्कि गांव में एक आदर्श महिला उद्यमी के रूप में स्थापित भी किया है। उन्होंने कहा, “पहले हम सोच भी नहीं सकते थे कि अपने ही गांव में रहकर खुद का व्यवसाय कर सकते हैं। आज मैं आत्मनिर्भर हूं और अपनी बेटियों को भी शिक्षित कर पा रही हूं।”
ग्रामोत्थान परियोजना टिहरी जिले में न केवल आर्थिक विकास का प्रतीक बन रही है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और महिला सशक्तिकरण का भी सशक्त माध्यम बन चुकी है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से राज्य सरकार की ‘आत्मनिर्भर उत्तराखंड’ की परिकल्पना को भी गति मिल रही है।