• November 21, 2025

Uttarakhand Development 2047: प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में विकास रोडमैप पर गहन मंथन

 Uttarakhand Development 2047: प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में विकास रोडमैप पर गहन मंथन
Sharing Is Caring:

Uttarakhand Development 2047: प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में विकास रोडमैप पर गहन मंथन

देहरादून स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में दो दिवसीय प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन की शुरुआत उत्तराखंड सरकार की दीर्घकालिक विकास दृष्टि को नए सिरे से मजबूत करने के साथ हुई। इस सम्मेलन में राज्य के उच्च स्तर के नीति-निर्माताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और सभी जिलों के अधिकारियों ने एक मंच पर आकर विकसित उत्तराखंड @2047 की दिशा में सामूहिक रणनीति तैयार करने पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने एओसी (AOC) को नीति-निर्माण और जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारियों के बीच एक सेतु बताया। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष संवाद और आमने-सामने की बैठकों से न केवल समन्वय बढ़ता है बल्कि उन चुनौतियों की भी गहन समझ बनती है जिनके समाधान के लिए राज्य स्तर पर प्रभावी और उचित हस्तक्षेप आवश्यक है। उन्होंने पर्यटन, बागवानी, स्वास्थ्य व वेलनेस, शहरी विकास तथा योजनाबद्ध शहरीकरण को भविष्य के उत्तराखंड के प्रमुख विकास स्तंभ के रूप में रेखांकित किया। मुख्य सचिव ने कहा कि विकसित उत्तराखंड 2047 की परिकल्पना तभी पूरी होगी जब नीतियों में जमीनी वास्तविकताओं का संतुलित प्रतिबिंब हो और विभागों के बीच तालमेल निरंतर मजबूत हो।

CS Photo 01 dt. 20 November 2025

प्रमुख सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने विकसित उत्तराखंड 2047 की विस्तृत विजनिंग प्रक्रिया प्रस्तुत की और वर्ष 2025 से 2047 तक की आर्थिक प्रगति के लिए प्रस्तावित व्यापक रणनीति का खाका रखा। उनके अनुसार वर्तमान में राज्य का GSDP 3.78 लाख करोड़ रुपये है, जो 2047 तक लगभग 28.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है। उन्होंने उच्च-मूल्य कृषि की दिशा में परिवर्तन, सेवा क्षेत्र के विस्तार, डिजिटल कनेक्टिविटी की मजबूती, और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन को अगले दो दशकों की विकास यात्रा का आधार बताया।

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की वित्तीय स्थिति की समग्र समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि अनुदानों में कमी, राजस्व वृद्धि की धीमी गति और व्यय में निरंतर बढ़ोतरी जैसी चुनौतियाँ राज्य के सामने उभर रही हैं। उन्होंने साक्ष्य-आधारित नीतियों, यथार्थवादी वित्तीय अनुमान, परियोजनाओं के लाइफ-साइकिल लागत आकलन, और विभागों के बीच सुचारु समन्वय को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए अनिवार्य बताया।

CS Photo 04 dt. 20 November 2025

सचिव पंकज पांडे ने इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं मोबिलिटी रोडमैप प्रस्तुत करते हुए पिछले 25 वर्षों में बेहतर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भविष्य का उत्तराखंड एक मजबूत, सुरक्षित और लचीले बुनियादी ढांचे पर आधारित होना चाहिए, जो डी-कंजेशन, बेहतर सार्वजनिक परिवहन और पर्यटन-उन्मुख गतिशीलता को बढ़ावा दे सके।

पर्यटन विभाग की अतिरिक्त सचिव ने विंटर टूरिज्म के नए मॉडल पर प्रस्तुतीकरण दिया, जिसके अंतर्गत नए पर्यटन सर्किटों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि प्रभावी अभिसरण और नीति समर्थन के माध्यम से राज्य की शीतकालीन पर्यटन क्षमता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सकती है।

सम्मेलन में बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, उधम सिंह नगर और हरिद्वार के जिलाधिकारियों ने जिला-स्तरीय उत्कृष्ट कार्यों और संभावनाओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। इनमें हर्बल एवं औषधीय पौधों का विस्तार, वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम, बागवानी क्षेत्र की संभावनाएँ, आकांक्षी जिला पहल तथा कचरा प्रबंधन के अभिनव मॉडल शामिल थे। अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में आ रही चुनौतियों का भी उल्लेख किया, जिन पर मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य स्तर पर कुछ नए संस्थागत ढांचे विकसित कर इन समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाएगा।

सम्मेलन का संचालन अपर सचिव नवनीत पांडे ने किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, एल. एल. फैनई सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। दो दिवसीय यह सम्मेलन आने वाले 20 वर्षों में उत्तराखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने हेतु महत्वपूर्ण रणनीति का आधार बन रहा है।

Sharing Is Caring:

Admin

https://nirmanshalatimes.com/

A short bio about the author can be here....

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *