• June 11, 2025

Gokharu: नपुंसकता और किडनी रोगों का काल है गोखरू: जल्द तैयार होगा गोखरू से निर्मित आयुर्वेदिक योग

 Gokharu:  नपुंसकता और किडनी रोगों का काल है गोखरू: जल्द तैयार होगा गोखरू से निर्मित आयुर्वेदिक योग
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Gokharu:  नपुंसकता और किडनी रोगों का काल है गोखरू: जल्द तैयार होगा गोखरू से निर्मित आयुर्वेदिक योग

देहरादून, 4 जून 2025 — आयुर्वेदिक औषधियों की श्रृंखला में गोखरू (Tribulus terrestris) एक चमत्कारी पौधे के रूप में उभरकर सामने आया है, जिसे नपुंसकता, यौन दुर्बलता और किडनी संबंधी रोगों के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। वैज्ञानिकों और आयुष विशेषज्ञों के अनुसार जल्द ही गोखरू पर आधारित एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक योग का उत्पादन शुरू किया जाएगा, जो पुरुष और महिला दोनों के यौन स्वास्थ्य, मूत्र संबंधी विकारों और किडनी की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

गोखरू वर्षा ऋतु में भूमि पर फैलकर बढ़ने वाला, शाखा-प्रशाखाओं से युक्त पौधा होता है। इसके तने लगभग 1.5 मीटर तक लंबे होते हैं और ज़मीन पर फैले रहते हैं। इसके पत्ते चने के पत्तों से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन आकार में थोड़े बड़े होते हैं। इसमें छोटे-छोटे पीले, चमकीले फूल खिलते हैं जो कांटेदार होते हैं और 0.7 से 2 सेमी व्यास के होते हैं। इसके फल गोल, चपटे और पांच कोणों वाले होते हैं जिनमें 2 से 6 कंटक होते हैं और इनमें कई बीज मौजूद होते हैं। इसकी जड़ें मुलायम, रेशेदार, हल्के भूरे रंग की होती हैं और इनमें हल्की सी सुगंध भी पाई जाती है। यह पौधा सामान्यतः अगस्त से दिसंबर के बीच फलता-फूलता है।

गोखरू के औषधीय गुणों की बात करें तो इसमें पोटेशियम, नाइट्रेट, विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फ्लेवोनोइड्स, सैपोनिन्स, एल्कलॉइड्स और कई आवश्यक खनिज तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इन तत्वों की उपस्थिति इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुआयामी उपयोगी बनाती है।

विशेष रूप से नाइट्रेट रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे शरीर के सभी अंगों को पोषण मिलता है और यौन शक्ति में सुधार होता है। सैपोनिन्स हार्मोन संतुलन को बेहतर बनाकर पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन इच्छा को प्रबल करने का कार्य करते हैं। एल्कलॉइड्स मूत्रवर्धक प्रभाव डालते हैं, जिससे मूत्र प्रणाली सक्रिय रहती है और किडनी की सफाई होती है।

कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि गोखरू का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह नपुंसकता, वीर्य क्षीणता, मूत्र रोग, गठिया, पीठ दर्द और मूत्र रुकावट जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके अतिरिक्त यह शरीर में शक्ति, ऊर्जा और मानसिक संतुलन को भी बढ़ाता है।

संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि गोखरू आधारित योग का व्यावसायिक उत्पादन जल्द ही प्रारंभ किया जाएगा, जो पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित होगा। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए वरदान होगा जो नपुंसकता और किडनी समस्याओं से पीड़ित हैं।

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