• August 10, 2025

CMHO Suspension: डॉ. मो. शाह हसन तत्काल प्रभाव से निलंबित, शराब के नशे में वाहन से हादसे के बाद सरकार की कड़ी कार्रवाई

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CMHO Suspension: डॉ. मो. शाह हसन तत्काल प्रभाव से निलंबित, शराब के नशे में वाहन से हादसे के बाद सरकार की कड़ी कार्रवाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के अनुपालन में उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग ने सख्त अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए चमोली जनपद के प्रभारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मो. शाह हसन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निर्णय राज्य सरकार की “शून्य सहिष्णुता” नीति के अनुरूप लिया गया है, जो प्रशासनिक व्यवस्था में अनुशासन और उत्तरदायित्व को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

डॉ. हसन हाल ही में एक गंभीर सड़क दुर्घटना में लिप्त पाए गए। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, जनपद रुद्रप्रयाग के तिलणी क्षेत्र में स्कॉर्पियो वाहन से दो बाइक सवार व्यक्तियों को टक्कर मारने की घटना सामने आई, जिसके चलते दोनों व्यक्तियों को गंभीर चोटें आईं। यह टक्कर खुद डॉ. हसन द्वारा चलाई जा रही स्कॉर्पियो से मारी गई थी, जो कि एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी के लिए अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना और निंदनीय कृत्य है।

स्वास्थ्य विभाग को 3 अगस्त 2025 को इस दुर्घटना की रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि घटना के समय डॉ. हसन शराब के प्रभाव में थे। रिपोर्ट का गहन परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि डॉ. हसन का आचरण उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का गंभीर उल्लंघन है।

सरकार ने इस आधार पर उत्तराखण्ड अपील एवं अनुशासन नियमावली 2003 के नियम-4 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त कर डॉ. मो. शाह हसन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस निलंबन को जनहित में आवश्यक कदम मानते हुए तुरंत लागू किया गया।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले में स्पष्ट रूप से आचरण का उल्लंघन हुआ है और शासन ने इसे अत्यंत गंभीरता से लिया है। उन्होंने दो टूक कहा कि विभाग में किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता, गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार या सेवा दायित्वों की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल दो निर्दोष नागरिकों के लिए त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने वाली है।

डॉ. राजेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि शासन की नीति सेवा क्षेत्र में कदाचार, लापरवाही और सार्वजनिक आचरण के उल्लंघन के प्रति पूर्णतः जीरो टॉलरेंस की है। स्वास्थ्य सेवा जैसी संवेदनशील प्रणाली में कार्यरत अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन करें, बल्कि सार्वजनिक जीवन में भी अनुकरणीय व्यवहार प्रस्तुत करें।

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