• June 22, 2025

Uttarakhand: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने के दिए निर्देश, शासकीय कार्यक्रमों में मिलेगी प्राथमिकता

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उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्यभर के समस्त प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों और जिलाधिकारियों को एक अहम निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में उन्होंने कहा है कि स्वयं सहायता समूहों (SHG) द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को शासकीय, अर्ध-शासकीय बैठकों, कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों में प्रमुखता से उपयोग में लाया जाए ताकि इन समूहों की आजीविका को सशक्त किया जा सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिला स्वयं सहायता समूह ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण, कैंटीन संचालन, हस्तशिल्प निर्माण जैसी विभिन्न आजीविका संवर्धन गतिविधियों में लगे हुए हैं। ये समूह खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता मानकों का पालन करते हुए उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिनका लाभ अब सरकारी आयोजनों में भी उठाया जाना चाहिए।

उन्होंने निर्देशित किया कि जिला, विकासखंड एवं राज्य स्तर पर आयोजित सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यक्रमों की कैटरिंग सेवाओं के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों की सेवाएं ली जाएं। इसके लिए संबंधित परियोजना निदेशक या सहायक परियोजना निदेशक, ग्राम्य विकास से संपर्क किया जा सकता है।

मुख्य सचिव ने विशेष रूप से सुझाव दिया कि जनपदों में आने वाले विशिष्ट अतिथियों के स्वागत कार्यक्रमों में स्मृति-चिन्ह, उपहार अथवा सम्मान स्वरूप दिए जाने वाले वस्तुओं के रूप में स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए स्थानीय हस्तशिल्प उत्पाद अथवा हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड के उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए। इससे न केवल महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिलेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति और उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षणों और बैठकों में जलपान व्यवस्था के लिए स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित मिलेट उत्पाद और स्थानीय पोषक आहार जैसे झंगोरा, मंडुआ, रागी आदि का प्रमुखता से उपयोग किया जाए। इससे स्थानीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ेगी और पोषण स्तर में भी सुधार होगा।

मुख्य सचिव ने सभी सरकारी कार्यालय परिसरों में कैंटीन और आउटलेट्स के संचालन के लिए भी स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता देने को कहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वित्त विभाग की अधिप्राप्ति नियमावली के अनुसार, इन समूहों से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत क्रय-विक्रय किया जाए।

राज्य सरकार का यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, स्थानीय उत्पादों को बाज़ार देने और सरकारी प्रणाली से जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इन निर्देशों के लागू होने से न केवल राज्य के हजारों महिला समूहों को आर्थिक मजबूती मिलेगी, बल्कि उत्तराखंड की पारंपरिक शिल्प और खानपान संस्कृति को भी नया जीवन मिलेगा।

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