Bundelkhand Solar Park: नए साल 2026 तक बुंदेलखंड में तीन बड़े सोलर पावर पार्क होंगे पूरी तरह तैयार
Bundelkhand Solar Park: नए साल 2026 तक बुंदेलखंड में तीन बड़े सोलर पावर पार्क होंगे पूरी तरह तैयार
सोलर पार्कों का विस्तार और स्थापना
झांसी, केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन के विकास पर विशेष ध्यान दे रही हैं। इस दिशा में झांसी, ललितपुर और चित्रकूट जिलों में तीन बड़े सोलर पार्कों की स्थापना का काम तेजी से चल रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले वर्ष 2026 तक इन सभी परियोजनाओं का काम पूरी तरह से पूरा हो जाएगा। इन तीनों सोलर परियोजनाओं के निर्माण का काम टुस्को लिमिटेड कर रही है।
झांसी जिले के गरौठा तहसील क्षेत्र में अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क की स्थापना के लिए आठ गांवों – सुजानपुरा, जलालपुरा, जसवंतपुरा, नदौरा, बरारु, पुरा, खड़ौरा और मोतीकटरा – की 2700 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस परियोजना के लिए 220/400 केवी ग्रिड सब स्टेशन का निर्माण भी जारी है। यह सोलर पार्क 600 मेगावाट क्षमता का होगा और पूरे क्षेत्र में ऊर्जा आपूर्ति को मजबूत करेगा।
चित्रकूट जिले के मऊ तहसील क्षेत्र में 800 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर पार्क स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए 15 गांवों की 3600 एकड़ भूमि लीज पर ली जा रही है। इसमें खड़गदाह, छतैनी माफी, मनका छतैनी, गहुर, कोटवा माफी, डोंडिया माफी, कटैया डांडी, छरेहरा, चचोखर, उसरी माफी, बरगढ़, अटारी मजरा, गोइयां कला, गोइयां खुर्द और सेमरा शामिल हैं।
ललितपुर जिले के तालबेहट तहसील क्षेत्र में 600 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क बनाया जा रहा है। इसके लिए नौ गांव – झरर, कड़ेसरा कला, बरामा बिहार, शाहपुर, सरखड़ी, पवा, पिपरई, तालबेहट अंदर और गेवरा गुंडेरा – की 2700 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
टुस्को लिमिटेड के सीईओ मनोज सरदाना ने बताया कि झांसी, ललितपुर और चित्रकूट में स्थापित ये तीन बड़े सोलर पार्क बुंदेलखंड क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। इन परियोजनाओं से न केवल प्रदेश की बिजली और ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि स्थानीय रोजगार सृजन और क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, बुंदेलखंड में इन सोलर पार्कों के संचालन से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा और राज्य की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। इसके अलावा, यह पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयासों में भी सहायक सिद्ध होगा।