• July 16, 2025

Bhagavad Gita in Schools: उत्तराखंड के स्कूलों में अब हर दिन गीता का श्लोक, शिक्षा में नैतिक मूल्यों को मिलेगा नया स्थान

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उत्तराखंड सरकार ने स्कूली शिक्षा को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में अब हर दिन प्रार्थना सभा के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता का एक श्लोक पढ़ा जाएगा। इस संबंध में राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका अनुपालन अनिवार्य किया गया है।

इस योजना के तहत छात्र न केवल श्लोकों का उच्चारण करेंगे, बल्कि उन्हें उसका अर्थ और वैज्ञानिक महत्व भी बताया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि बच्चे श्लोकों को केवल रटें नहीं, बल्कि उन्हें समझें और अपने जीवन में उतारें। इस प्रयास के जरिए छात्रों में चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों की स्थापना, आत्मनियंत्रण, निर्णय लेने की क्षमता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की योजना है।

हर सप्ताह एक ‘श्लोक ऑफ द वीक’ निर्धारित किया जाएगा, जो स्कूल के नोटिस बोर्ड पर अर्थ सहित लिखा जाएगा। सप्ताह के अंत में उसी श्लोक पर कक्षा में संवाद और चर्चा होगी, जिसमें छात्रों की भागीदारी और प्रतिक्रिया भी ली जाएगी। इससे न केवल गीता के गूढ़ सिद्धांत छात्रों तक पहुंचेंगे, बल्कि उनके सोचने-समझने की क्षमता में भी सुधार होगा।

शिक्षकों को विशेष रूप से निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर गीता के सिद्धांतों को छात्रों को सरल भाषा में समझाएं और उदाहरणों के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि ये शिक्षाएं आज के जीवन में कैसे व्यवहारिक रूप से उपयोगी हैं। इस योजना को धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक और नैतिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे हर वर्ग का छात्र लाभान्वित हो सके।

यह पूरी पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप है, जिसमें भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की बात कही गई है। यह पहल भारतीय सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ नई पीढ़ी को नैतिक और व्यवहारिक रूप से मजबूत नागरिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही गीता और रामायण की शिक्षाओं को राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का संकेत दे चुके हैं। इसी कड़ी में यह नई योजना लागू की जा रही है और अगले सत्र से पाठ्यक्रम में भी बदलाव की तैयारी चल रही है। सरकार का कहना है कि आज की शिक्षा प्रणाली को केवल नौकरी परक न बनाकर मूल्यपरक बनाना ज़रूरी है, ताकि समाज में जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिकों की नींव रखी जा सके।

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