Success Story: डिलीवरी बॉय से करोड़ों की कंपनी के मालिक बने आनंद राय, जौनपुर के गांव से रचा वैश्विक सफलता का इतिहास

Success Story: डिलीवरी बॉय से करोड़ों की कंपनी के मालिक बने आनंद राय, जौनपुर के गांव से रचा वैश्विक सफलता का इतिहास
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गांव मेहौड़ा से निकलकर आनंद राय ने जिस बुलंदी को छुआ है, वह किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं लगती। बिना किसी बड़ी डिग्री, बिना किसी आर्थिक सहारे, उन्होंने अपने हौसले और मेहनत के दम पर करोड़ों की कंपनी खड़ी की और अपने गांव के सौ से ज्यादा लोगों को रोज़गार देकर एक नई मिसाल कायम की।
आनंद राय का जन्म सूरतपुर गांव में हुआ। परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। पढ़ाई सिर्फ 10वीं तक ही हो सकी, क्योंकि पिता एक छोटे किसान थे, जिनके पास फसल को बारिश से बचाने के लिए तिरपाल तक खरीदने के पैसे नहीं थे। लेकिन इन्हीं कठिनाइयों ने आनंद के भीतर बदलाव की चिंगारी पैदा की। उन्होंने गांव छोड़ा और शहर की ओर रुख किया, यह तय कर लिया था कि जिंदगी को किसी और दिशा में मोड़ना है।
शहर में उनकी शुरुआत एक डिलीवरी बॉय के रूप में हुई। महीने की तनख्वाह महज 200-250 रुपये थी, लेकिन इस छोटे से काम को उन्होंने अपने सीखने का माध्यम बनाया। मुंबई की सड़कों पर रातों में डिलीवरी करना, कभी खतरे से भिड़ जाना, और कभी ग्राहक की लैब रिपोर्ट बचाने के लिए रिस्क उठाना—हर अनुभव ने उन्हें निखारा। उन्होंने सप्लाई चेन का गहराई से अध्ययन किया और अपने अनुभव को पूंजी बना लिया।
आनंद की लगन रंग लाई। वह धीरे-धीरे बेहतर नौकरियों तक पहुंचे और फिर 50,000 रुपये महीने की आय पर पहुंच गए। लेकिन उन्होंने खुद को नौकरी तक सीमित नहीं रखा। 2016 में उन्होंने ‘गोजावास’ नामक लॉजिस्टिक कंपनी में 51% हिस्सेदारी खरीद ली, जिसका उस वक्त टर्नओवर 650 करोड़ रुपये था। उनकी अपनी कंपनी ‘पिजन एक्सप्रेस’ उस समय 20 करोड़ से कम का कारोबार कर रही थी, लेकिन जोखिम उठाने का जज़्बा आनंद के भीतर था। यही कदम उन्हें सिंगापुर तक ले गया, और वह एनआरआई बन गए।
लेकिन उनका दिल अब भी गांव की मिट्टी से जुड़ा था। 2024 में उन्होंने अपने गांव मेहौड़ा में एक आधुनिक मशरूम प्रोडक्शन यूनिट शुरू की। आधुनिक तकनीकों और रिसर्च के दम पर आज यह यूनिट हर दिन 1 टन मशरूम का उत्पादन करती है, और कंपनी का सालाना टर्नओवर 5 से 6 करोड़ रुपये के बीच पहुंच चुका है। उनकी सब्जियों की खुशबू अब सिंगापुर, यूक्रेन और स्पेन की थालियों तक पहुंच रही है।
आनंद ने इस यूनिट के जरिए अपने गांव के 100 से अधिक लोगों को रोजगार दिया। उन्होंने न केवल ट्रेनिंग दी बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती भी दी। आनंद कहते हैं, “मेरा सपना था कि मेरे गांव के लोग आत्मनिर्भर बनें, और अब जब मैं उन्हें अपनी मेहनत से कमाते हुए देखता हूं, तो लगता है कि मैं सही रास्ते पर हूं।”
आज आनंद राय न सिर्फ एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि प्रेरणा के प्रतीक बन चुके हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों तो न डिग्री की जरूरत होती है, न बड़े नाम की—सिर्फ मेहनत, निष्ठा और सपनों पर विश्वास ही काम आता है।