Uttarakhand Disaster 2025: उत्तराखंड आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंची अंतर-मंत्रालयी टीम, मुख्यमंत्री धामी से की मुलाकात
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बुधवार को भारत सरकार की अंतर-मंत्रालयी टीम ने भेंट की। यह टीम उत्तराखंड में हाल ही में आई आपदाओं से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा करने के बाद सचिवालय पहुंची।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राज्य है। मानसून के दौरान राज्य को अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन, बाढ़ और जलभराव जैसी गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को मिलकर एक उन्नत पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करनी होगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस वर्ष भारी वर्षा के चलते राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी जनहानि और संपत्ति की क्षति हुई है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने जमीन को स्थायी नुकसान पहुंचाया है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों को दोबारा खेती या निर्माण कार्यों के लिए उपयोग में लाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए एक दीर्घकालिक और प्रभावी कार्ययोजना बनाना अनिवार्य है।
अंतर-मंत्रालयी टीम के सदस्यों ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल जिलों का दौरा कर आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया। गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव आर. प्रसन्ना के नेतृत्व में आई टीम में अनु सचिव शेर बहादुर, अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार, उप निदेशक विकास सचान, मुख्य अभियंता पंकज सिंह और निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह शामिल थे।
टीम ने प्रभावितों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों की सराहना की। टीम ने कहा कि राहत शिविरों में भोजन, चिकित्सा सुविधा और अन्य मूलभूत व्यवस्थाएं संतोषजनक हैं। आपदा में मृतकों के परिजनों और जिनके घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पांच लाख रुपये की तात्कालिक सहायता राशि दिए जाने से प्रभावित परिवारों को काफी राहत मिली है।
इसके अलावा टीम ने राज्य सरकार की उस पहल की भी सराहना की, जिसके तहत सभी गर्भवती महिलाओं का डेटा जिला प्रशासन के पास उपलब्ध है और उनके स्वास्थ्य व सुरक्षित प्रसव के लिए निरंतर निगरानी की जा रही है। टीम ने कहा कि इस तरह की पहल अन्य राज्यों में भी लागू की जानी चाहिए।
टीम के सदस्यों ने भ्रमण के दौरान यह भी उल्लेख किया कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण नदियों में अत्यधिक सिल्ट भर गई है, जिससे जलस्तर बढ़ गया है और भविष्य में बड़े नुकसान की संभावना बनी हुई है। इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप भी मौजूद रहे।