Uttarakhand: उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की नई इबारत, परंपरा से नेतृत्व तक का सफर

Uttarakhand: उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की नई इबारत, परंपरा से नेतृत्व तक का सफर
उत्तराखंड, एक पहाड़ी राज्य होने के बावजूद, महिलाओं की भूमिका यहाँ के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। पारंपरिक कार्यों से लेकर अब स्वरोजगार, शिक्षा और नेतृत्व तक महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। इस बदलाव के पीछे उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न महिला सशक्तिकरण योजनाओं की अहम भूमिका है।
1. महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) योजना
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के तहत महिलाओं को छोटे-छोटे समूहों में संगठित किया जाता है, जिन्हें बैंक से ऋण लेकर छोटे व्यवसाय जैसे – अचार, जैम, सिलाई, बुनाई, मुर्गी पालन आदि शुरू करने में मदद मिलती है। ये समूह आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम हैं।
2. मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना
इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। इसमें महिलाओं को नए उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक ऋण पर ब्याज में छूट और अनुदान सहायता दी जाती है। इससे कई महिलाएं बुटीक, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में सफल उद्यमी बन चुकी हैं।
3. गौरा देवी कन्या धन योजना
इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की बालिकाओं को इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने पर आर्थिक सहायता दी जाती है। इसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या रोकना और बालिकाओं की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है।
4. महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटर
घरेलू हिंसा, उत्पीड़न या मानसिक तनाव जैसी स्थितियों में पीड़ित महिलाओं को तुरंत सहायता प्रदान करने के लिए ‘महिला हेल्पलाइन – 181’ और ज़िला स्तरीय वन स्टॉप सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। यहाँ कानूनी, चिकित्सकीय और मानसिक परामर्श की सुविधा उपलब्ध है।
5. महिला कौशल विकास कार्यक्रम
सरकार द्वारा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, कंप्यूटर, ब्यूटी पार्लर, बेकरी आदि में प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के योग्य बनाया जा रहा है। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार की महिला सशक्तिकरण योजनाएं केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और मानसिक मजबूती भी प्रदान कर रही हैं। आज प्रदेश की महिलाएं शिक्षा, व्यवसाय और नेतृत्व के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। यदि इन योजनाओं का विस्तार और गहनता से किया जाए, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण में एक मिसाल बन सकता है।