Uttarakhand Handicrafts: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के कार्यक्रम में भाग लिया

Uttarakhand Handicrafts: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के कार्यक्रम में भाग लिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने हस्तशिल्प पर आधारित विभिन्न स्टॉल का निरीक्षण किया और 11 शिल्पियों को उत्तराखंड शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में उत्तरकाशी से जानकी देवी, भागीरथी देवी, बागेश्वर से इन्द्र सिंह, अल्मोड़ा से लक्ष्मण सिंह और भुपेन्द्र सिंह बिष्ट, हल्द्वानी (नैनीताल) से जीवन चन्द्र जोशी और मोहन चन्द्र जोशी, नारायण नगर मल्लीताल (नैनीताल) से जानकी बिष्ट, क्वालिटी कॉलोनी हल्दूचौड़ (हल्द्वानी) से जगदीश पाण्डेय, चमोली से प्रदीप कुमार और गुड्डी देवी तथा उत्तरकाशी से महिमानन्द तिवारी शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की बुनाई और हस्तशिल्प कला अपनी विविधता, पारंपरिक डिजाइन और गुणवत्ता के कारण प्रसिद्ध है। उन्होंने शिल्पियों और बुनकरों को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक बताया। कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हाल ही में आई आपदा में दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी और प्रभावित परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास कार्यों को संवेदनशीलता और तेज गति से संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने हर्षिल की ऊनी शाल, मुनस्यारी-धारचूला की थुलमा, अल्मोड़ा की ट्वीड, छिनका की पंखी और पिछौड़े के डिजाइन की प्रशंसा की और बताया कि ये उत्पाद न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक बाजार में भी उत्तराखंड की पहचान बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि भांग और बांस से बने वस्त्रों की देशभर में विशेष मांग है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘‘वोकल फॉर लोकल’’, ‘‘लोकल टू ग्लोबल’’ और ‘‘मेक इन इंडिया’’ जैसी पहलों का उल्लेख किया और बताया कि ये शिल्पियों और बुनकरों के सामाजिक-आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान जैसी योजनाओं के माध्यम से शिल्पियों और बुनकरों के समग्र विकास पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की शिल्पी पेंशन योजना, शिल्प रत्न पुरस्कार, बुनकर क्लस्टर सशक्तिकरण, कौशल विकास प्रशिक्षण, मेलों-प्रदर्शनी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार और विपणन को प्रोत्साहित करने के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के आह्वान का पालन करके प्रत्येक नागरिक आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत कर सकता है और शिल्पियों, कारीगरों और किसानों को नई ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखंड के शिल्पी और बुनकर अपनी रचनात्मकता और परंपरा के माध्यम से राज्य को आत्मनिर्भर और देश का अग्रणी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद वीरेन्द्र दत्त सेमवाल, विधायक सरिता आर्य, सुरेश गड़िया, अध्यक्ष बाल आयोग डॉ. गीता खन्ना, सचिव उद्योग विनय शंकर पांडेय, महानिदेशक उद्योग डॉ. सौरभ गहरवार और प्रदेशभर से आए हस्तशिल्पी उपस्थित रहे।