• September 14, 2025

Hindi Diwas: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं दीं, कहा हिन्दी हमारी संस्कृति और एकता की पहचान

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Hindi Diwas: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं दीं, कहा हिन्दी हमारी संस्कृति और एकता की पहचान

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिन्दी हमारी सांस्कृतिक भावनाओं, आकांक्षाओं और आदर्शों की प्रतीक है। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं की पहचान भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की भाषा उसे उसकी जड़ों और परंपराओं से जोड़ने का कार्य करती है, और हिन्दी इस भूमिका को मजबूती से निभाती आई है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हिन्दी मात्र भाषा नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की आत्मा है। इसने समाज को जोड़ा, सभ्यता को समृद्ध किया और विश्व मंच पर भारत को विशेष स्थान दिलाया। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी अस्मिता, संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक है, जिसने विविधता से भरे भारतीय समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। सरलता, सहजता और सामर्थ्य से परिपूर्ण हिन्दी में समन्वय की अद्भुत क्षमता है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में हिन्दी को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है। प्रधानमंत्री द्वारा “मन की बात” जैसे कार्यक्रमों में हिन्दी का प्रयोग करने से हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान प्राप्त हुआ है। आज दुनिया के विभिन्न देशों में हिन्दी का अध्ययन किया जा रहा है और यह विश्व की सबसे अधिक लोकप्रिय भाषाओं में से एक बन चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी ने स्वतंत्रता संग्राम के समय संघर्ष की भाषा बनकर देशवासियों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। तब से लेकर आज तक हिन्दी सामाजिक चेतना और जागरूकता फैलाने का प्रमुख माध्यम रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी हिन्दी के उत्थान और प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हिन्दी भारतवासियों के बीच सेतु का कार्य करती है और देश की विभिन्न भाषाओं में सामंजस्य बनाने की ताकत रखती है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि हिन्दी दिवस के अवसर पर हम अपने दैनिक जीवन में हिन्दी के अधिक से अधिक प्रयोग का संकल्प लें। यह न केवल हमारी मातृभाषा के गौरव को बढ़ाएगा बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी संस्कृति से जोड़ेगा।

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