Uttarakhand Government Order: उत्तराखंड सरकार का बड़ा आदेश, बुलडोजर कार्रवाई से पहले मिलेगा 15 दिन का नोटिस

Uttarakhand Government Order: उत्तराखंड सरकार का बड़ा आदेश, बुलडोजर कार्रवाई से पहले मिलेगा 15 दिन का नोटिस
उत्तराखंड सरकार ने स्थानीय निकायों के तहत सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को और सख्त बनाते हुए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। इस आदेश के अनुसार अब किसी भी अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण से पहले संबंधित व्यक्ति को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाएगा। इस अवधि में यदि अतिक्रमणकारी स्वयं अतिक्रमण नहीं हटाता है, तो स्थानीय प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई के माध्यम से अतिक्रमण हटाने के लिए कदम उठाएगा।
अपर सचिव शहरी विकास विभाग संतोष बड़ोनी ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि नोटिस की प्रति पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजी जाएगी और इसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड किया जाएगा। इसके अलावा ईमेल के जरिए जिला मजिस्ट्रेट, जिला अधिकारी कार्यालय और अन्य संबंधित अधिकारियों को भी इसकी सूचना दी जाएगी। अतिक्रमण पर कार्रवाई के दौरान संबंधित अधिकारी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसमें पुलिस और अन्य सरकारी कर्मचारियों की सहायता ली जाएगी। पूरी कार्रवाई की प्रक्रिया का विवरण वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ डिजिटल पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी अतिक्रमणकारी को नोटिस पर आपत्ति है, तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। सुनवाई के बाद संबंधित विवरण रिकॉर्ड में दर्ज किए जाएंगे और यदि कोई अपील नहीं की जाती है तो निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त, हर शहर में तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल तैयार किया जाएगा, जिसमें नोटिस जारी करने, प्राप्त करने और आदेशों की पूरी प्रक्रिया का विवरण रखा जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से सभी प्रक्रियाओं को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। जिला अधिकारी अपनी ओर से नोडल अधिकारी भी नामित करेंगे, जो संबंधित अधिकारियों के बीच समन्वय का काम करेंगे।
सरकार ने सभी शहरी निकायों को निर्देश दिए हैं कि वे इस प्रक्रिया का सख्ती से पालन करें, ताकि अवैध निर्माण और अतिक्रमण की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सके। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि किसी मामले में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी की संपत्ति का गलत तरीके से ध्वस्तीकरण किया जाता है, तो उसकी भरपाई संबंधित अधिकारी को अपने निजी व्यय से करनी होगी।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम शहरी क्षेत्रों में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोकने के लिए एक अहम प्रयास माना जा रहा है, जिससे नागरिकों की संपत्ति के अधिकार सुरक्षित रहेंगे और प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।