UP : उत्तर प्रदेश में स्थापित होगा राज्य सहकारी महाविद्यालय, सहकारिता में शोध और अध्ययन को मिलेगा बढ़ावा

UP : उत्तर प्रदेश में स्थापित होगा राज्य सहकारी महाविद्यालय, सहकारिता में शोध और अध्ययन को मिलेगा बढ़ावा
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र को नए आयाम देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य सहकारी महाविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की है। इस महाविद्यालय की स्थापना से सहकारिता में अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य को मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल की उपस्थिति में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की, जहां इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई। केंद्रीय राज्य मंत्री ने इसे ऐतिहासिक पहल बताते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि उत्तर प्रदेश की सहकारिता संबंधी उपलब्धियां अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय हैं।
बैठक में एम-पैक्स सदस्यता महाभियान पर भी विशेष चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ मंत्र को साकार करने के लिए 12 सितम्बर से 12 अक्टूबर तक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य हर किसान और ग्रामीण परिवार को सहकारिता से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष के अभियान में 30 लाख से अधिक नए सदस्य जुड़े थे, जिनमें किसानों, श्रमिकों, पशुपालकों और मत्स्यपालकों की बड़ी संख्या शामिल थी। इससे सहकारिता क्षेत्र में 70 करोड़ रुपये का अंशदान प्राप्त हुआ था। इस बार लक्ष्य और भी बड़ा रखा गया है, जिसके लिए गाँव-गाँव में कैंप, जागरूकता कार्यक्रम और ऑनलाइन-ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की जाएगी।
समीक्षा बैठक में सहकारी बैंकिंग सुधारों पर भी चर्चा हुई। जानकारी दी गई कि 2017 से अब तक 16 बंद जिला सहकारी बैंकों को 306.92 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से पुनर्जीवित किया गया है। परिणामस्वरूप वर्ष 2017 में सहकारी बैंकों का कुल एनपीए 800 करोड़ रुपये से घटकर मार्च 2025 में केवल 278 करोड़ रुपये रह गया। अब सभी बैंक लाभ में आ चुके हैं और मार्च 2025 तक ऋण व्यवसाय 1000 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों और जमाकर्ताओं का विश्वास सहकारिता की असली पूंजी है, इसे हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने जोड़ा कि सहकारिता भारतीय समाज की प्राचीन परंपरा है और इसे संरक्षित करते हुए समाज को संगठित किया जा सकता है।
बैठक में एफसीआई द्वारा शुरू की गई अन्न भंडारण योजना की भी समीक्षा हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 35 जिलों के 96 स्थलों पर गोदाम निर्माण का कार्य जनवरी 2026 से शुरू होकर अप्रैल 2026 तक पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि गोदाम निर्माण किसानों की समृद्धि और अन्न सुरक्षा का आधार है, इसलिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
एम-पैक्स की प्रगति पर चर्चा करते हुए बताया गया कि 2024-25 में जहां 266 एम-पैक्स गठित हुए थे, वहीं चालू वर्ष में अब तक 457 नये एम-पैक्स बनाए जा चुके हैं और सितम्बर माह में 1,088 ग्राम पंचायतों में गठन की प्रक्रिया जारी है। एम-पैक्स को उर्वरक वितरण हेतु 10 लाख रुपये तक ब्याज-मुक्त ऋण सुविधा दी गई है, जिससे अब तक 5,400 करोड़ रुपये का टर्नओवर और 120 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी हासिल हुई है। इसके अलावा 757 नवगठित एम-पैक्स के उन्नयन के लिए 1 लाख रुपये मार्जिन मनी और 1 लाख रुपये आधारभूत ढांचा विकास मद में दिए जा रहे हैं।
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 6,101 सोसाइटी में क्यूआर और यूपीआई आधारित भुगतान व्यवस्था लागू की जा चुकी है। साथ ही 5,170 एम-पैक्स में सीएससी सेवाएं, 6,443 एम-पैक्स को पीएम किसान समृद्धि केंद्र और 161 एम-पैक्स में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जन औषधि केंद्र अस्पतालों के निकट स्थापित किए जाएं और सहकारिता को युवाओं के लिए कृषि, डेयरी, मत्स्य और सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का माध्यम बनाया जाए।
इस समीक्षा बैठक में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रकाश शाही, धर्मपाल सिंह, संजय निषाद, राज्य मंत्री जेपीएस राठौर, भारत सरकार के सचिव सहकारिता डॉ. आशीष कुमार भूटानी, नाबार्ड के डीजीएम एनएल साहू और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।