Dharali Rescue Operation: धराली में आपदा राहत और बचाव कार्य तेज, सेना से लेकर स्थानीय प्रशासन तक जुटे

Dharali Rescue Operation: धराली में आपदा राहत और बचाव कार्य तेज, सेना से लेकर स्थानीय प्रशासन तक जुटे
धराली में हाल ही में आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन विभाग, पुलिस वायरलेस टीम और अन्य एजेंसियां मौके पर लगातार सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक स्वयं घटनास्थल पर मौजूद रहकर पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
धराली में एनडीआरएफ के कंट्रोल रूम के साथ इंसिडेंट कमांड पोस्ट स्थापित कर दी गई है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों को अलग-अलग सेक्टर में बांट दिया गया है, जिसमें सेक्टर A की जिम्मेदारी एनडीआरएफ, सेक्टर B सेना, सेक्टर C एसडीआरएफ और सेक्टर D आईटीबीपी को दी गई है। वहीं सड़क सेक्टर का जिम्मा पीडब्ल्यूडी, बीआरओ और बीजीबी रुड़की के पास है। इंसिडेंट कमांडर ने सभी SAR ऑपरेशन कमांडरों और जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक समेकित कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया है।
बचाव कार्य के लिए मौके पर 5 जेसीबी, 3 एक्सकेवेटर, 2 डोज़र और 10 टिपर तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही एक जनरेटर भी उपलब्ध है। एनडीआरएफ की टीम एक विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, 4 लाइव डिटेक्टर और एक एक्सो थर्मल कटिंग डिवाइस का उपयोग कर रही है ताकि मलबे में फंसे लोगों को जल्द खोजा और निकाला जा सके।
सोमवार सुबह 635 पैकेट सूखा राशन प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया, वहीं 7200 लीटर डीज़ल और पेट्रोल जौलीग्रांट से हवाई मार्ग द्वारा भेजा जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग ने 150 स्लीपिंग बैग और 50 टेंट भी भेजे हैं। 10 अगस्त 2025 की शाम 4 बजे तक 7667 रेडी-टू-ईट फूड पैकेट हर्षिल पहुंचाए जा चुके हैं, और पर्याप्त मात्रा में राशन का भंडारण किया गया है ताकि किसी भी स्थिति में राहत कार्य बाधित न हो।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि हर्षिल में एयरटेल, जियो और बीएसएनएल की मोबाइल सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। माइक्रो हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना से बिजली उत्पादन फिर शुरू हो गया है, और हर्षिल व धराली दोनों में विद्युत आपूर्ति सामान्य हो चुकी है। राहत कार्य में 10 केनाइन डॉग की सेवाएं ली जा रही हैं। एनडीआरएफ के 6 और एसडीआरएफ के 4 ड्रोन घटनास्थल की निगरानी कर रहे हैं। सेना के 2 GPR (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) से मलबे के नीचे जीवन के संकेत खोजने का कार्य चल रहा है।
एनजीआरआई के 5 इंजीनियर भी जीपीआर तकनीक के साथ धराली में कार्यरत हैं। भागीरथी में रुके हुए जल प्रवाह से बनी झील से पानी की निकासी के लिए यूजेवीएनएल और सिंचाई विभाग की टीम हर्षिल भेजी गई है। आपदा के कारणों और भविष्य में ऐसे हादसों की रोकथाम के लिए यूएलएमएमसी, वाडिया रुड़की और जीएसआई के वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम स्थलीय निरीक्षण के लिए रवाना की गई है। लिंचागाड़ में वाशआउट हुए पुल की मरम्मत पूरी कर आवागमन बहाल कर दिया गया है, और सोनगाड़ से पीडब्ल्यूडी का कार्य भी तेजी से प्रगति पर है।
धराली में इस व्यापक और संगठित राहत अभियान का उद्देश्य अधिकतम जानमाल की सुरक्षा और जल्द से जल्द सामान्य जीवन बहाल करना है।