Lemon Farming Success: सूखे में भी लहलहाया कागजी नींबू का बाग, दिव्यांग किसान शशिकांत इंगोले की अनोखी खेती से सालाना 22 लाख रुपये की कमाई

Lemon Farming Success: सूखे में भी लहलहाया कागजी नींबू का बाग, दिव्यांग किसान शशिकांत इंगोले की अनोखी खेती से सालाना 22 लाख रुपये की कमाई
महाराष्ट्र का बीड जिला अक्सर सूखे के लिए जाना जाता है, जहां किसान या तो पानी की कमी से जूझते हैं या कभी-कभार भारी बारिश की मार झेलते हैं। लेकिन इसी बीड जिले में रहने वाले एक दिव्यांग किसान शशिकांत गणेश इंगोले ने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से इस इलाके की पहचान को बदलने की दिशा में एक मिसाल कायम कर दी है। उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर दो हेक्टेयर क्षेत्र में कागजी नींबू की खेती शुरू की, और अब वे हर साल 20 से 22 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।
शशिकांत इंगोले ने अपने खेत में कुल 666 कागजी नींबू के पेड़ लगाए थे, जिनमें से अब लगभग 550 पेड़ बचे हैं। उन्होंने बताया कि खेती के लिए उन्होंने अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ मिलकर मेहनत की। खास बात यह है कि वे पूरी तरह प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करते हैं और किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करते। इसका नतीजा यह है कि उनका बाग न केवल सेहतमंद फल दे रहा है, बल्कि हर साल बेहतर उत्पादन भी कर रहा है।
इंगोले बताते हैं कि नींबू के अधिक उत्पादन के लिए उन्होंने कई तकनीकों को अपनाया है। गर्मियों में उत्पादन बढ़ाने के लिए जून-जुलाई में फूलों को नियंत्रित करने हेतु यूरिया का सीमित उपयोग किया जाता है। इसके बाद जनवरी-फरवरी में भी इसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है ताकि गर्मी के मौसम में फल अधिक आएं। उनका अनुभव कहता है कि मानसून में फूलों से उपज कम होती है, इसलिए वे मानसून के फूलों को हटा देते हैं और केवल गर्मी के फूलों से उपज लेते हैं, जिससे पैदावार में काफी वृद्धि होती है।
अब तक वे अपने नींबू के बगीचे से लगभग 30 लाख रुपये का उत्पादन कर चुके हैं और इस वर्ष वे 40 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद कर रहे हैं। यह सब संभव हो पाया है कृषि विभाग के मार्गदर्शन, भाऊसाहेब फुंडकर योजना और रोज़गार गारंटी योजना के सहयोग से।
बीड जिले के कृषि सहायक विकास अधिकारी सोनवतीकर ने बताया कि इंगोले का यह बाग न केवल जिले के किसानों के लिए प्रेरणा बना है, बल्कि इसकी सफलता को देखकर आस-पास के किसान भी कागजी नींबू की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बीड के कृषि मंडल में अब लगभग पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में खट्टे फलों की फसलें उगाई जा रही हैं, और इसमें शशिकांत इंगोले की भूमिका मार्गदर्शक के रूप में अहम हो गई है।
सबसे खास बात यह है कि कागजी नींबू की फसल किसी भी मौसम में उगाई जा सकती है, और यह सूखा सहने में भी सक्षम होती है। जहां सूखे ने बीड के अनेक किसानों को नुकसान पहुंचाया, वहीं इंगोले ने विपरीत परिस्थितियों को मात देते हुए नई दिशा दिखाई है।