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Gramotthan Pariyojana: ग्रामोत्थान परियोजना बनी उत्तराखंड के निर्धन परिवारों की संजीवनी, अब तक 10 हजार से अधिक परिवारों को मिला आजीविका का संबल

Gramotthan Pariyojana: ग्रामोत्थान परियोजना बनी उत्तराखंड के निर्धन परिवारों की संजीवनी, अब तक 10 हजार से अधिक परिवारों को मिला आजीविका का संबल
उत्तराखंड सरकार की ग्रामोत्थान परियोजना (ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना) राज्य के गरीब और सीमित आय वाले परिवारों की आजीविका में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चलाई जा रही इस योजना के तहत अब तक प्रदेश के 10,732 निर्धनतम परिवारों को लाभ मिल चुका है। योजना के माध्यम से इन परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर स्थायी आजीविका से जोड़ा गया है।
इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य प्रदेश के 5.60 लाख चिन्हित जरूरतमंद परिवारों की आजीविका संवर्द्धन करना है। वर्ष 2023 से लागू यह परियोजना अब प्रदेश के सभी 13 जिलों के 95 विकासखण्डों में सक्रिय रूप से संचालित हो रही है। अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास निधि (IFAD) की सहायता से चल रही इस परियोजना पर कुल 2789.27 करोड़ रुपये की लागत आंकी गई है।
योजना के तहत प्रमुख रूप से कृषि, दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, खुदरा व्यवसाय, रिपेयरिंग शॉप जैसे लघु उद्यमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय परिवारों को बैंकिंग सिस्टम के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी वार्षिक आय को दोगुना कर सकें।
अब तक 3.24 लाख से अधिक परिवारों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है। विशेष रूप से 10 हजार अत्यंत गरीब परिवारों के लिए विशेष पैकेज भी तैयार किया गया है। योजना के शुरूआती दो वर्षों में ही इस विशेष श्रेणी के 10732 परिवार लाभान्वित हो चुके हैं, जो लक्ष्य से अधिक है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन और अन्य ग्रामीण उद्यमों से जुड़े 7341 परिवारों की वार्षिक आय में डेढ़ लाख रुपये से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यही नहीं, इस योजना में सक्रिय 3751 महिलाओं की सालाना आय अब एक लाख रुपये से ऊपर पहुंच चुकी है, जो महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “ग्रामोत्थान परियोजना राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है। योजना का मकसद यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ही लोगों को स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिल सके, जिससे पलायन को भी रोका जा सके। हम चाहते हैं कि प्रत्येक गरीब परिवार को अपने गांव में ही आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिले।”
ग्राम्य विकास विभाग इस परियोजना को न सिर्फ आर्थिक बदलाव का माध्यम मानता है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। परियोजना ग्रामीण जनता को उनके अपने संसाधनों, कौशल और सामूहिक प्रयासों के बल पर गरीबी से उबारने में सफल हो रही है।