Harela Festival 2025: हरेला पर्व पर उत्तराखंड में रिकॉर्ड पौधरोपण अभियान, थीम: “एक पेड़ – माँ के नाम”
देहरादून,उत्तराखंड सरकार इस बार हरेला पर्व को एक ऐतिहासिक पर्यावरणीय अभियान में तब्दील करने जा रही है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 16 जुलाई को प्रदेशभर में “एक पेड़ – माँ के नाम” थीम के अंतर्गत एक वृहद पौधरोपण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य न केवल वृक्षारोपण कर पर्यावरण को संरक्षित करना है, बल्कि लोगों को अपनी जड़ों और मातृप्रेम से जोड़ना भी है।
इस आयोजन का लक्ष्य एक ही दिन में 5 लाख से अधिक पौधे लगाने का है। इसमें गढ़वाल मंडल में 3 लाख तथा कुमाऊं मंडल में 2 लाख पौधे रोपे जाएंगे। यह अभियान उत्तराखंड के इतिहास में एक नया पर्यावरणीय कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है।
राज्य सरकार ने इसे केवल एक सरकारी आयोजन न बनाकर, जन-भागीदारी का पर्व बनाने की योजना तैयार की है। अभियान की तैयारी शासन स्तर पर पूरी हो चुकी है, और इसे सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेशवासियों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा, “हरेला केवल एक पर्व नहीं, प्रकृति और मातृत्व के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। ‘एक पेड़ – माँ के नाम’ का भाव हर घर तक पहुँचना चाहिए।” उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्यावरण संरक्षण विजन से प्रेरित बताया।
उत्तराखंड में हरेला पर्व हर वर्ष जुलाई में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व राज्य की संस्कृति में प्रकृति के प्रति आदर भाव को दर्शाता है। अब इसे सरकार के प्रयासों से एक जनआंदोलन में परिवर्तित किया जा रहा है।
पौधरोपण स्थल और सहभागिता: इस अभियान के तहत पौधरोपण सार्वजनिक स्थलों, वनों, नदियों के किनारे, स्कूल-कॉलेज परिसरों, सिटी पार्कों और आवासीय क्षेत्रों में किया जाएगा। इस पुनीत कार्य में एनसीसी, एनएसएस, स्कूली छात्र, स्थानीय जनप्रतिनिधि, सरकारी विभागों के कर्मचारी और आम नागरिक भाग लेंगे।
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में बीते वर्षों में उत्तराखंड के परंपरागत पर्वों — हरेला, इगास, फूलदेई, बटर फेस्टिवल और घी संक्रांति — को नई पहचान मिली है। अब ये पर्व न केवल राज्य की सीमाओं में बल्कि देशभर में पहचाने जाने लगे हैं। मुख्यमंत्री का यह प्रयास है कि उत्तराखंड प्रकृति संरक्षण का अग्रदूत राज्य बने।
इस अभियान के ज़रिए सरकार एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना को फिर से जीवित करने जा रही है। “एक पेड़ – माँ के नाम” केवल एक पौधरोपण नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश है, जो भावी पीढ़ियों के लिए हरियाली और जीवनदायिनी विरासत का निर्माण करेगा।