Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मां नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 की तैयारियों को दिए गति, सभी विभागों को सौंपे स्पष्ट निर्देश
देहरादून, 11 जुलाई — उत्तराखण्ड की गौरवशाली संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक मानी जाने वाली मां नंदा देवी राजजात यात्रा वर्ष 2026 में भव्य रूप से आयोजित की जाएगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए यात्रा की तैयारियों की गहन समीक्षा की और संबंधित विभागों को ठोस निर्देश जारी किए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा कि राजजात यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान, लोक आस्था और पर्वतीय जीवनशैली की जीवंत झलक है। उन्होंने कहा कि इसका आयोजन इस प्रकार हो कि यह देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित, सुव्यवस्थित और अविस्मरणीय बन सके।
बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यात्रा मार्गों की समय पर मरम्मत कर ली जाए, विशेषकर कठिन पर्वतीय रास्तों पर सुरक्षा रेलिंग, पत्थर ढलानों से सुरक्षा के उपाय और रास्तों की मजबूती सुनिश्चित की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक प्रमुख पड़ाव पर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक टेली-मेडिसिन सेवाएं और डॉक्टरों की मोबाइल टीमों की तैनाती की भी बात कही।
संस्कृति और स्थानीय सहभागिता को मिलेगा बढ़ावा
राज्यात की सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रखने हेतु मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोक कलाकारों, ग्राम पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों को यात्रा से जोड़ा जाए। उन्होंने पारंपरिक वाद्य यंत्रों, नृत्य, गायन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए ताकि श्रद्धालु उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक आत्मा को महसूस कर सकें।
वर्ष 2025 के अंत तक पूरी हों तैयारियां
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि एक समेकित कार्ययोजना बनाकर 2025 के अंत तक सभी आवश्यक तैयारियों को धरातल पर उतार लिया जाए। इसमें यात्रा से जुड़े सभी विभाग—लोक निर्माण, पर्यटन, स्वास्थ्य, पुलिस, सूचना, संस्कृति, आपदा प्रबंधन आदि को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना होगा।
श्रद्धालुओं को मिलेगा बेहतर अनुभव
मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मां नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त अनुभव बन सके। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की पहचान ही उसकी पारंपरिक आस्था और प्राकृतिक दिव्यता है, जिसे इस यात्रा के माध्यम से देश-दुनिया को प्रदर्शित किया जा सकता है।
राज्य सरकार प्रतिबद्ध है
बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को विश्वास दिलाया कि यात्रा की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और समयबद्ध तरीके से सभी योजनाएं पूरी की जाएंगी।