• July 6, 2025

Free Ration Scheme: जनकल्याण में भागीदारी की नई पहल: मुफ्त राशन योजना से जोड़ें सामाजिक दायित्व

 Free Ration Scheme: जनकल्याण में भागीदारी की नई पहल: मुफ्त राशन योजना से जोड़ें सामाजिक दायित्व
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Free Ration Scheme: जनकल्याण में भागीदारी की नई पहल: मुफ्त राशन योजना से जोड़ें सामाजिक दायित्व

भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मुफ्त राशन वितरण एक अत्यंत सराहनीय योजना है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना करोड़ों जरूरतमंद लोगों की जीवनरेखा बन चुकी है। परंतु अब समय आ गया है कि इसे केवल ‘सहायता’ तक सीमित न रखते हुए ‘सामाजिक दायित्व’ और ‘जनहित सहभागिता’ से जोड़ा जाए।

जनहित में कौन-कौन से कार्य किए जा सकते हैं?
मुफ्त राशन प्राप्त करने वाले नागरिकों को स्वैच्छिक रूप से निम्नलिखित सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है:

स्वच्छता अभियान: अपने गांव, मोहल्ले या वार्ड में सफाई, नालियों की मरम्मत, सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल जैसे कार्यों में योगदान।

पौधारोपण व बागवानी: स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन या सार्वजनिक जमीनों पर वृक्षारोपण, देखभाल और हरियाली अभियान।

पार्क और सामुदायिक स्थलों की देखरेख: स्थानीय पार्कों की सफाई, रंगाई-पुताई, टॉयलेट व्यवस्था की निगरानी।

जल संरक्षण: तालाबों, कुओं, वर्षा जल संचयन इकाइयों की मरम्मत, सफाई, जागरूकता अभियान।

शैक्षिक सहयोग: आंगनबाड़ी या स्कूलों में भोजन वितरण, बच्चों की देखभाल, प्राथमिक शिक्षा सहायता, सफाई आदि।

क्या इसे अनिवार्य बनाया जा सकता है?
भारतीय संविधान एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करता है। इस लिहाज़ से किसी व्यक्ति से अनिवार्य श्रमदान कराना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा। इसलिए यह सुझाव है कि इसे स्वैच्छिक और प्रेरणात्मक आधार पर लागू किया जाए।

प्रोत्साहन कैसे दिया जाए?
श्रमदान करने वालों को अतिरिक्त खाद्य सामग्री, जैसे सब्जी, तेल, मसाले या दाल आदि।

प्रशस्ति पत्र, स्थानीय स्तर पर पहचान और सार्वजनिक सम्मान।

सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता, जैसे ग्रामीण आवास योजना, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना में वरीयता।

डिजिटल कार्ड/रजिस्ट्रेशन, जिसमें व्यक्ति के श्रमदान रिकॉर्ड जुड़े हों।

संभावित गाइडलाइन्स और कार्यान्वयन उपाय
स्वैच्छिक सहभागिता मॉडल: हर पंचायत/वार्ड स्तर पर जनहित कार्यों की सूची तैयार की जाए और इच्छुक व्यक्तियों को भागीदारी का अवसर मिले।

स्थानीय निकायों की भागीदारी: ग्राम पंचायतें या नगर निगम ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन और मॉनिटरिंग करें।

NGO और स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग: ये संस्थाएं प्रशिक्षण, निगरानी और मूल्यांकन में सहायक हो सकती हैं।

डिजिटल पोर्टल या ऐप आधारित ट्रैकिंग: श्रमदान और जनहित कार्यों को रजिस्टर किया जा सकता है। इससे पारदर्शिता भी आएगी।

सामुदायिक मूल्यांकन समिति: स्थानीय सम्मानित नागरिकों की एक समिति कार्य की गुणवत्ता और भागीदारी की निगरानी करे।

मुफ्त राशन योजना जैसे जनकल्याण कार्यक्रम केवल सहायता नहीं, बल्कि नागरिक और समाज के बीच परस्पर जिम्मेदारी का सेतु भी बन सकते हैं। यदि इस योजना से जुड़े नागरिकों को स्वैच्छिक रूप से समाज के लिए योगदान देने का अवसर और सम्मान दोनों मिले, तो इससे सामूहिक चेतना, स्वाभिमान और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को बल मिलेगा।

यह पहल भारत को एक सहभागी, स्वावलंबी और सशक्त समाज की दिशा में आगे ले जाने वाला एक संवेदनशील लेकिन सशक्त कदम साबित हो सकता है — बशर्ते इसे सम्मान और सहयोग की भावना से लागू किया जाए, न कि दबाव या दंड के डर से।

 

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