Uttarakhand Doctors Day: राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पर उत्तराखंड में चिकित्सकों का सम्मान, सीएम धामी ने सेवा और समर्पण को बताया “धरती का भगवान” की पहचान
राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशभर से आए प्रतिष्ठित चिकित्सकों को मुख्यमंत्री आवास में सम्मानित किया और उन्हें शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों के सेवा भाव, समर्पण और करुणा को मानवता की सबसे बड़ी पूंजी बताया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरी पेशा केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक “नोबल प्रोफेशन” है, जो समाज में सेवा, संवेदना और विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने सभी डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे अपनी गरिमामयी छवि को सदैव जीवित रखें और मरीजों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अब तक 58 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से 11 लाख से अधिक मरीजों को 2100 करोड़ रुपये से अधिक का कैशलेस उपचार मिल चुका है। यह पहल राज्य के हर नागरिक को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में मील का पत्थर है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित कर रही है ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर ही उन्नत चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। देहरादून, हल्द्वानी और श्रीनगर के मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी विभाग स्थापित किए गए हैं, जहाँ कार्डियोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और यूरोलॉजी जैसी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हल्द्वानी में राज्य का पहला आधुनिक कैंसर संस्थान भी निर्माणाधीन है।
सीएम धामी ने बताया कि राज्य में हेली एम्बुलेंस सेवा प्रारंभ की गई है, जो विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों में दूरदराज़ के क्षेत्रों के लिए जीवन रक्षक साबित हो रही है। साथ ही, 207 प्रकार की पैथोलॉजिकल जांचें राज्य में निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। टेलीमेडिसिन सेवा के ज़रिए अब राज्य के सुदूर क्षेत्रों के ग्रामीण भी विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त कर पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए कार्य किया जा रहा है, ताकि जनता को बेहतर सेवाएं मिल सकें। जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है।
सीएम धामी ने भारतीय चिकित्सा परंपरा का स्मरण करते हुए आचार्य नागार्जुन और महर्षि सुश्रुत जैसे चिकित्सा विज्ञान के महान आचार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परंपरा केवल आयुर्वेद तक सीमित नहीं रही, बल्कि विज्ञान और शोध पर आधारित रही है, जिसकी आज की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में भी अहम भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टरों द्वारा किए गए सेवा कार्यों को याद करते हुए कहा कि जब दुनिया भय और संकट में थी, उस समय डॉक्टरों ने बिना किसी स्वार्थ के मरीजों की सेवा की। PPE किट पहनकर घंटों काम करना, संक्रमण के खतरे के बावजूद डटे रहना और अपनों से दूर रहकर मानव सेवा करना—ये सब डॉक्टरों के बलिदान और समर्पण के उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों से आए डॉक्टरों में डॉ आर. के. जैन, डॉ गीता खन्ना, डॉ सुनीता टमटा, डॉ कृष्ण अवतार, डॉ आर. एस. बिष्ट, डॉ आशुतोष स्याना, डॉ महेश कुड़ियाल, डॉ प्रशांत, डॉ नंदन बिष्ट सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे। सभी को मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से सम्मानित कर उनके योगदान की सराहना की।