हेमकुंट साहिब यात्रा का हुआ शुभारंभ: राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने पहले जत्थे को किया रवाना

Uttarakhand: हेमकुंट साहिब यात्रा का हुआ शुभारंभ: राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने पहले जत्थे को किया रवाना
उत्तराखंड के पावन हिमालयी आंचल में स्थित प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल श्री हेमकुंट साहिब की वार्षिक यात्रा का शुभारंभ आज अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ हुआ। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश से पहले जत्थे को विधिवत रवाना किया। चमोली जिले की ऊँचाई पर बसे इस गुरुद्वारे की ओर तीर्थयात्रियों का यह पहला जत्था निकलने के साथ ही आध्यात्मिक ऊर्जा और सामाजिक समरसता का संदेश भी प्रसारित हुआ।
तीर्थयात्रा की शुरुआत ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन परिसर से की गई, जहां प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत स्वामी चिदानंद सरस्वती की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी पावन बना दिया। कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु, संत, प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय लोग शामिल हुए। जैसे ही प्रथम जत्थे ने यात्रा आरंभ की, वातावरण ‘वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह’ के जयघोष से गूंज उठा।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा, “यह उत्तराखंड के लिए गर्व और सौभाग्य का दिन है कि भारत और दुनिया भर से श्रद्धालु यहां आकर इस यात्रा में भाग ले रहे हैं। हम इसे ‘अतिथि देवो भव’ की भावना के साथ देखते हैं। मैं मुख्यमंत्री धामी, प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को हर यात्री की यात्रा को सफल और सुरक्षित बनाने के प्रयासों के लिए धन्यवाद देता हूं।”
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की और कहा कि “प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड को तीर्थाटन और आध्यात्मिक पर्यटन का नया जीवन मिला है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से आज हेमकुंट यात्रा सुरक्षित, व्यवस्थित और श्रद्धापूर्ण वातावरण में संपन्न हो रही है।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षा, ठहरने और भोजन की उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे पर्यावरण का ध्यान रखें और प्रशासन का सहयोग करें।
हेमकुंट साहिब, जो लगभग 15,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की तपस्थली मानी जाती है। मई से अक्टूबर तक खुलने वाले इस तीर्थ की यात्रा दुर्गम और कठिन मानी जाती है, परंतु श्रद्धालु इस कठिनाई को भी आध्यात्मिक साधना मानकर स्वीकार करते हैं।
इस पवित्र तीर्थ यात्रा की शुरुआत के साथ ही ऋषिकेश एक बार फिर तीर्थाटन, सेवा और श्रद्धा की भावना से ओतप्रोत हो गया है। हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है और उत्तराखंड की पहचान एक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में और सुदृढ़ होती है।