UCC लागू करने पर हरिद्वार में सम्मानित हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, डॉ. अंबेडकर की जयंती पर जताया आभा

UCC लागू करने पर हरिद्वार में सम्मानित हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, डॉ. अंबेडकर की जयंती पर जताया आभार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के साहसिक निर्णय को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हरिद्वार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। यह सम्मान डॉ. बी.आर. अंबेडकर महामंच द्वारा बाबा साहेब की 135वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। बी.एच.ई.एल मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में भारी जनसमूह की उपस्थिति ने मुख्यमंत्री के निर्णय को जनसमर्थन का प्रमाण दे दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंच से उपस्थित जनसमूह और आयोजकों का आभार जताते हुए कहा कि यह सम्मान किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस सोच और विचारधारा का है, जिसने दशकों से भारतीय समाज में न्याय, समानता और समरसता की अलख जगाई है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे, जिन्होंने समान अधिकार, न्याय और स्वतंत्रता को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने डॉ. अंबेडकर को एक युगदृष्टा बताते हुए कहा कि उनकी सोच समावेशी भारत की नींव थी। बाबा साहेब मानते थे कि जब तक समाज के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार और अवसर नहीं मिलते, तब तक सच्ची समानता संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करना केवल एक कानून बनाना नहीं है, यह सामाजिक न्याय और सच्चे लोकतंत्र की स्थापना की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को दशकों तक नजरअंदाज किया गया, लेकिन आज का भारत उनके बताए मार्ग पर चलने को तैयार है। “यह नया भारत है जो न केवल अपनी विरासत को सम्मान देता है, बल्कि साहसिक निर्णयों से नई मिसालें कायम करता है।” उन्होंने गर्व के साथ कहा कि उत्तराखंड ने एक बार फिर पूरे देश को दिशा दिखाई है- जहाँ समानता अब किताबों से निकलकर कानून की शक्ल में ज़मीन पर उतर चुकी है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में “बाबा साहब समरसता स्थल” के निर्माण की घोषणा की, जो अनुसूचित समाज के उद्धार में लगे समाजसेवकों की स्मृति और उनके योगदान को संजोने के लिए समर्पित होगा। इसके साथ ही उन्होंने समाज कल्याण विभाग की एससीपी/टीएसपी योजनाओं के अंतर्गत अनुसूचित समाज की बाहुल्यता वाले क्षेत्रों में बहुद्देशीय भवनों का निर्माण दलित, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के समाज सुधारकों के नाम पर किए जाने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि अनुसूचित जाति आयोग के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों में विशेष जन-जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, ताकि युवाओं को भारतीय संविधान, सामाजिक न्याय के अधिकारों और बाबा साहेब के विचारों की गहरी समझ हो सके।
इस पूरे आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड न केवल समान नागरिक संहिता को लागू करके एक विधिक सुधार की दिशा में अग्रसर है, बल्कि यह सामाजिक सुधार की दिशा में भी ठोस पहल कर रहा है। बाबा साहेब को समर्पित यह आयोजन सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि उनके सपनों को साकार करने की ओर उठाया गया निर्णायक कदम था।