आस्था, अनुशासन और प्रशासनिक नेतृत्व: ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की अगुवाई में सफल हुई पिरान कलियर की नौचंदी व्यवस्था
आस्था, अनुशासन और प्रशासनिक नेतृत्व: ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की अगुवाई में सफल हुई पिरान कलियर की नौचंदी व्यवस्था
अहमद हसन:-
कलियर शरीफ (रुड़की): 27 नवंबर, दिन बृहस्पतिवार को आयोजित नौचंदी के पावन अवसर पर विश्व प्रसिद्ध पिरान कलियर शरीफ दरगाह में लाखों ज़ायरीन (श्रद्धालुओं) का सैलाब उमड़ा। इस विशाल भीड़ के बावजूद, रुड़की प्रशासन के नेतृत्व ने एक अनुकरणीय व्यवस्था स्थापित की।
प्रशासनिक मुस्तैदी का परिणाम
इस वर्ष की व्यवस्था का श्रेय मुख्य रूप से रुड़की के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट श्री दीपक राम चंद्र सेठ और तहसीलदार श्री विकास अवस्थी के कुशल नेतृत्व को जाता है। इन दोनों अधिकारियों के सीधे मार्गदर्शन में, दरगाह प्रशासन, पीआरडी जवान, और सेवा में लगे कर्मचारियों ने असाधारण कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया।

क्रमबद्ध दर्शन: प्रशासनिक समन्वय के चलते अधिकांश स्थानों पर दर्शन की व्यवस्था क्रमानुसार बनी रही, जिससे श्रद्धालुओं को भीड़-भाड़ के बावजूद सहज मार्गदर्शन मिलता रहा।
सफल भीड़ प्रबंधन: जे एम दीपक रामचंद्र सेठ और तहसीलदार विकास अवस्थी के निर्देशों के अनुरूप, टीम ने सुनिश्चित किया कि दरगाह परिसर के भीतर ज़ायरीनों का प्रवाह नियंत्रित रहे, जो इतनी बड़ी संख्या के लिए एक बड़ी सफलता है।
चुनौती बनी पुरानी अव्यवस्थाएँ
प्रशासन की इस प्रशंसात्मक पहल के बावजूद, कुछ वर्षों पुरानी समस्याएं अभी भी समाधान की बाट जोह रही हैं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और तहसीलदार के प्रयासों के बावजूद, ठेली-फड़ी वालों का अतिक्रमण, मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक व्यवस्था में कमी, और पार्किंग की गंभीर समस्या जैसे विषय श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का सबब बने रहे। ये चुनौतियाँ प्रशासन और स्थानीय समुदाय के लिए अगले चरण की कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का आह्वान: सामूहिक जिम्मेदारी ही समाधान
व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए, यह स्पष्ट है कि प्रशासनिक सफलता को बनाए रखने के लिए सामूहिक सहयोग अपरिहार्य है।
एक स्थानीय अधिकारी ने कहा, “पिरान कलियर की गरिमा तभी बनी रह सकती है जब प्रशासन अपनी ड्यूटी निभाए और स्थानीय व्यापारी, स्वयंसेवक, और श्रद्धालु सहयोग का हाथ बढ़ाएँ।”
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक राम चंद्र सेठ और तहसीलदार विकास अवस्थी के नेतृत्व में किए गए प्रयास सराहनीय हैं, और ये इस बात का प्रमाण हैं कि प्रशासनिक दृढ़ इच्छाशक्ति से बड़ी से बड़ी भीड़ को प्रबंधित किया जा सकता है। अब समय है कि स्थानीय व्यापारी अतिक्रमण हटाकर, और श्रद्धालु अनुशासन बनाए रखकर, प्रशासन के प्रयासों को पूर्ण समर्थन दें।
अंत में, यह नौचंदी इस बात का आह्वान करती है कि “आस्था तभी पूर्ण होती है जब अनुशासन उसका साथी बने।” प्रशासन के साथ मिलकर, हम सब यह प्रण लें कि इस पवित्र स्थल की व्यवस्था और गरिमा को अगले नौचंदी में और भी बेहतर बनाएँगे।