• November 26, 2025

IITF 2025 में झारखंड की पारंपरिक कला का जादू: पैतकर, सोहराय और खादी बने ‘सुपरस्टार’!

 IITF 2025 में झारखंड की पारंपरिक कला का जादू: पैतकर, सोहराय और खादी बने ‘सुपरस्टार’!
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IITF 2025 में झारखंड की पारंपरिक कला का जादू: पैतकर, सोहराय और खादी बने ‘सुपरस्टार’!

अहमद हसन:-

​नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में झारखंड पवेलियन कला, संस्कृति और सशक्तिकरण का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। राज्य की सदियों पुरानी पैतकर और सोहराय कलाकृतियों के साथ-साथ झारखंड खादी ने दर्शकों का दिल जीत लिया, जिससे पवेलियन को ‘स्टार आकर्षण’ का दर्जा मिला है।
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​मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड (MVSKVB) की पहल पर, झारखंड की लोककला विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया गया, जिसने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है।
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​ पैतकर और सोहराय: सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक उड़ान
​पवेलियन में प्रदर्शित सोहराय-खोवर, जादोपटिया और विशेष रूप से पैतकर पेंटिंग्स ने बड़ी संख्या में विज़िटर्स को आकर्षित किया। ये कलाकृतियाँ न सिर्फ झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों के लिए नए बाज़ार के दरवाजे भी खोल रही हैं।
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​पैतकर की विशिष्टता: सिंहभूम की यह कथात्मक शैली, जिसे सिंदूर, गेरू और खनिज रंगों से पुनर्नवीनीकृत कागज़ पर बनाया जाता है, लोककथाओं और जीवन-मरण चक्र के विषयों को जीवंत करती है। स्टॉल संचालकों के अनुसार, रंगों को पत्थर को चंदन की तरह घिसकर, प्राकृतिक पेंट और नीम-बबूल के गोंद के साथ तैयार किया जाता है, जो पेंटिंग्स को लंबी उम्र देता है।

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​सोहराय-खोवर का GI टैग प्रभाव: अपनी विशिष्ट रेखाओं और पशु आकृतियों के लिए विश्व-प्रसिद्ध, सोहराय-खोवर पेंटिंग को वर्ष 2020 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था। अब यह कला पारंपरिक दीवारों से निकलकर वस्त्रों और होम डेकोर उत्पादों पर बड़े पैमाने पर छा रही है, जिससे कारीगरों को व्यापक पहचान मिल रही है।

​ खादी उद्योग बना स्थिरता का प्रतीक
​परंपरागत कलाकृतियों के साथ, पवेलियन का खादी स्टॉल भी जबरदस्त लोकप्रिय रहा। यहाँ स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार प्राकृतिक फाइबर आधारित हाथ से काता सूत और प्राकृतिक रंगों से रंगे उत्कृष्ट वस्त्रों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

​मुख्य आकर्षण: झारखंड की प्रसिद्ध तसर सिल्क और कटिया सिल्क ने अपनी मुलायम बनावट, टिकाऊपन और पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं के कारण भारी भीड़ को आकर्षित किया।

​आज उद्योग सचिव- सह-स्थानिक आयुक्त श्री अरवा राजकमल ने सभी स्टॉलों का अवलोकन किया और कारीगरों के प्रयासों की सराहना की।
​झारखंड पवेलियन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह केवल एक प्रदर्शन स्थल नहीं, बल्कि सरकार की नीतिगत प्रतिबद्धता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की व्यापक दृष्टि का एक जीवंत प्रतीक है।

​अगला कदम:
​झारखंड की पैतकर और सोहराय कला से जुड़े कारीगरों के बारे में और जानकारी चाहिए, या आप इन उत्पादों को खरीदने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जानना चाहेंगे?

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