• November 22, 2025

Jharkhand Tribal Jewelry: झारखंड सरकार की पहल से आदिवासी आभूषण उद्योग को वैश्विक पहचान

 Jharkhand Tribal Jewelry: झारखंड सरकार की पहल से आदिवासी आभूषण उद्योग को वैश्विक पहचान
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Jharkhand Tribal Jewelry: झारखंड सरकार की पहल से आदिवासी आभूषण उद्योग को वैश्विक पहचान

नई दिल्ली। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में फोकस स्टेट के रूप में शामिल झारखंड पवेलियन इस बार दर्शकों का प्रमुख आकर्षण बन गया है। यहां प्रदर्शित आदिवासी और सिल्वर आभूषण अपनी अनूठी डिज़ाइन, पारंपरिक तकनीक और सांस्कृतिक महत्व के कारण लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। यह पवेलियन झारखंड सरकार की उन दूरदर्शी पहलों का प्रतीक है, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरी, महिला उद्यमिता, कुटीर उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत कर रही हैं।

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झारखंड सरकार का मुख्य उद्देश्य स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को बड़े बाजारों से जोड़ना, उनके उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। पवेलियन में हसुली, ठेला, पैरी, बंगारी समेत अन्य पारंपरिक चांदी एवं धातु के आभूषण प्रदर्शित किए गए हैं, जो पारंपरिक तकनीक के साथ आधुनिक फैशन के अनुरूप डिज़ाइन किए गए हैं। स्टॉल संचालिका गीता रानी ने बताया कि इन आभूषणों की विशिष्ट डिज़ाइन, सांस्कृतिक पहचान और किफायती मूल्य ने इन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया है।

पवेलियन में युवाओं की बढ़ती रुचि और भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि पारंपरिक और हस्तनिर्मित फैशन की मांग में तेजी आई है। झारखंड सरकार द्वारा लागू किए गए उपाय जैसे स्टॉल सब्सिडी, उत्पाद प्रमोशन, डिज़ाइन विकास सहायता, प्रशिक्षण कार्यक्रम और बाजार अंतसंबर्धन ने स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को नई पहचान दिलाई है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप न केवल आदिवासी कला और सिल्वर आभूषणों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराहना मिली है, बल्कि झारखंड को पारंपरिक हस्तशिल्प और कारीगरी का प्रमुख केंद्र स्थापित करने का अवसर भी मजबूत हुआ है।

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झारखंड की यह पहल केवल पारंपरिक कला और कारीगरी का संरक्षण नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आर्थिक सशक्तिकरण और नवाचार के अवसर भी प्रस्तुत करती है। कारीगरों से लेकर उद्यमियों तक इस नई रणनीति ने राज्य में ‘हस्त निर्मित इकॉनॉमी’ को गति देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आने वाले वर्षों में राज्य के पारंपरिक उद्योगों की वैश्विक पहचान बढ़ाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगी।

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