• November 13, 2025

PM Modi Garhwali Speech: रजत जयंती समारोह में पहाड़ी रंग में रंगे प्रधानमंत्री मोदी, गढ़वाली-कुमाऊनी बोली से जीत लिया दिल

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PM Modi Garhwali Speech: रजत जयंती समारोह में पहाड़ी रंग में रंगे प्रधानमंत्री मोदी, गढ़वाली-कुमाऊनी बोली से जीत लिया दिल

उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के मुख्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह पहाड़ी रंग में नजर आए। सिर पर पारंपरिक पहाड़ी टोपी और भाषण में जगह-जगह गढ़वाली और कुमाऊनी बोली का प्रयोग कर उन्होंने उत्तराखंड की जनता से सीधा जुड़ाव स्थापित किया। इस बार प्रधानमंत्री का अंदाज पहले से भी अधिक भावनात्मक और स्थानीय संस्कृति से ओत-प्रोत था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों की सरलता, मेहनत और प्रकृति से जुड़ी जीवनशैली उन्हें हमेशा प्रेरित करती है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत भी गढ़वाली में करते हुए कहा, “देवभूमि उत्तराखंड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयानो, आप सबू तई म्यारू नमस्कार। पैलाग, सैंवा सौंली।” उनके इस अभिवादन ने पूरे सभागार में उत्साह और गर्व का माहौल पैदा कर दिया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “पैली पहाड़ू कू चढ़ाई, विकास की बाट कैल रोक दी छै। अब वखि बटि नई बाट खुलण लग ली।” यह वाक्य न केवल भाषण का आकर्षण बना, बल्कि उत्तराखंड के विकास पथ की दिशा भी दर्शाता रहा।

उन्होंने अपने भाषण में राज्य के लोक पर्वों और सांस्कृतिक परंपराओं का भी विशेष उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने हरेला, फुलदेई, भिटोली, नंदा देवी मेला, जौलजीबी और देवीधुरा मेले का नाम लेते हुए कहा कि ये त्यौहार केवल आस्था के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उत्तराखंड की जीवनधारा और सामुदायिक एकता की पहचान हैं। उन्होंने टिहरी के दयारा बुग्याल में आयोजित बटर फेस्टिवल का भी जिक्र किया, जो पारंपरिक ग्रामीण संस्कृति और प्रकृति प्रेम का उत्सव है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री बार-बार पहाड़ी शब्दों का प्रयोग करते रहे, जिससे स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों ने तालियों से स्वागत किया। उनके इस अंदाज ने यह संदेश दिया कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की भावनाओं, संस्कृति और परंपराओं को हृदय से समझती है और उनके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड विकास, पर्यटन और सांस्कृतिक समृद्धि के नए शिखर को छुएगा। उन्होंने जनता से अपील की कि राज्य की प्रकृति, परंपरा और पहचान को बनाए रखते हुए ‘विकसित उत्तराखंड’ के लक्ष्य को साकार करें।

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