PVTG Development: पीवीटीजी समुदायों के समग्र विकास पर “सुपर 60” सेमिनार: झारखंड में आदिम जनजातियों की आजीविका और सशक्तिकरण में नई प्रगति
PVTG Development: पीवीटीजी समुदायों के समग्र विकास पर “सुपर 60” सेमिनार: झारखंड में आदिम जनजातियों की आजीविका और सशक्तिकरण में नई प्रगति
झारखंड, 07 नवंबर नीति आयोग और झारखंड सरकार के सहयोग से पीवीटीजी (अत्यंत पिछड़ी जनजातीय समूह) क्षेत्रों में समग्र विकास, सेवा प्रदायन और आजीविका सुदृढ़ीकरण के लिए “सुपर 60” सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड और ओडिशा के पदाधिकारियों ने भाग लिया। नीति आयोग की सचिव रंजना चोपड़ा ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के पीवीटीजी क्षेत्रों में हर घर तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित की जाए। उन्होंने हाउसहोल्ड सैचुरेशन पर जोर देते हुए कहा कि जिन गांवों तक सड़क नहीं पहुंची है, वहां प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और मनरेगा के माध्यम से कार्य कराया जाए ताकि रोजगार और कनेक्टिविटी दोनों सुनिश्चित हो।
रंजना चोपड़ा ने बताया कि 2018 में पीवीटीजी कल्याण के लिए शुरू की गई योजना अब प्रभाव दिखा रही है। कई क्षेत्रों में नल योजना, सड़क निर्माण और विद्युतीकरण कार्य पूरे किए जा चुके हैं। इसके साथ ही ऐसे टोलों में आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिनकी आबादी कम से कम 100 लोगों की है। आदिम जनजाति की महिलाओं को काम के दौरान राहत देने के लिए क्रेच (बच्चों की देखभाल केंद्र) भी खोले जाने की योजना है। नीति आयोग की सचिव ने झारखंड के पीवीटीजी क्षेत्रों में हुए कार्यों और शेष कार्यों का विस्तृत डेटा तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि योजनाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके।
नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन डायरेक्टर रोहित कुमार ने कहा कि पीवीटीजी योजना आदिम जनजातियों के समग्र विकास का मार्ग है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह पहल उन क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ रही है जो विकास की दौड़ में पिछड़े रहे हैं। इस योजना का उद्देश्य केवल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से समुदायों को सशक्त बनाना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

झारखंड में पीवीटीजी योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से राज्य के दुर्गम इलाकों में विकास की नई बयार बह रही है। योजना एवं विकास सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि राज्य की भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद आदिम जनजातियों के समग्र विकास में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की गई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में राज्य सरकार कई नवाचारों पर काम कर रही है। विशेष रूप से ‘डाकिया योजना’ के तहत दूरस्थ गांवों में आवश्यक वस्तुएं, पोषण आहार और दवाएं सीधे लोगों के दरवाजे तक पहुंचाई जा रही हैं, जिससे जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
मुकेश कुमार ने बताया कि राज्य के पीवीटीजी प्रखंडों में सड़क, बिजली, पेयजल, आवास और शिक्षा से जुड़ी योजनाएं सैचुरेशन मोड में लागू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि योजना का सकारात्मक असर जमीनी स्तर पर साफ दिखाई दे रहा है – बच्चों की शिक्षा में सुधार, मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और रोजगार सृजन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
झारखंड की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “दीदी की दुकान” से पीवीटीजी समुदायों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है। इस योजना के तहत महिला समूहों ने अपने गांवों में आवश्यक वस्तुओं की दुकानें शुरू की हैं, जिनकी शुरुआत 30 हजार से 1 लाख रुपये के लोन से हुई। वर्तमान में 1276 दीदी की दुकानें संचालित हैं, जिनमें से 386 गांवों में पहली बार दुकान खोली गई है। औसतन प्रत्येक दुकान से हर महीने लगभग 9,100 रुपये की आय हो रही है। इसके अलावा, 113 गांवों में “दीदी का ढाबा” भी शुरू किया गया, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े और महिलाओं में आत्मनिर्भरता और सम्मान की भावना विकसित हुई।
सुपर 60 सेमिनार में पद्मश्री मधु मंसूरी, पद्मश्री जमुना टुडू, पद्मश्री सिमन उरांव, पद्मश्री जागेश्वर यादव, पद्मश्री कमी मुर्मू, एडिशनल मिशन डायरेक्टर आनंद शेखर, आदिवासी कल्याण सचिव झारखंड कृपानंद झा, सचिव योजना एवं विकास मुकेश कुमार, विशेष सचिव योजना एवं विकास राजीव रंजन सहित छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा एवं झारखंड के पदाधिकारी उपस्थित थे।