Babita Rawat Rudraprayag: मशरूम की खुशबू से बदली जिंदगी, रुद्रप्रयाग की बबीता रावत बनीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल
Babita Rawat Rudraprayag: मशरूम की खुशबू से बदली जिंदगी, रुद्रप्रयाग की बबीता रावत बनीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के सौड़ उमरेला गांव की रहने वाली बबीता रावत ने अपने हौसले और मेहनत से यह साबित कर दिखाया कि चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर इरादा मजबूत हो तो सफलता निश्चित है। मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेती, दूध बेचने और मशरूम की खेती की शुरुआत की। बबीता ने अपने पिता की खराब तबीयत के बाद घर की जिम्मेदारी बखूबी संभाली और पारिवारिक आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का बीड़ा उठाया।
साल 2009 में जब बबीता सिर्फ 13 वर्ष की थीं, उसी समय उन्होंने पहली बार हल पकड़ा और खेतों में काम करना शुरू किया। दिन में गांव से पांच किलोमीटर दूर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज, रुद्रप्रयाग में पैदल पढ़ाई के लिए जातीं और सुबह-शाम खेती-बाड़ी में परिवार का हाथ बटातीं। धीरे-धीरे उन्होंने खेती के पारंपरिक तरीके में नवाचार लाया और मशरूम की खेती का प्रयोग शुरू किया। शुरुआत में लोगों ने इसे असंभव माना, लेकिन बबीता ने मेहनत और समर्पण से इस धारणा को तोड़ दिया।
आज बबीता रावत न केवल एक सफल किसान हैं बल्कि एक प्रेरक उद्यमी भी हैं। उन्होंने 500 से अधिक महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई। पॉलीहाउस तकनीक और जैविक खेती को अपनाकर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक कृषि की दिशा में नया अध्याय लिखा।
उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए वर्ष 2020 में उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी बबीता ने न सिर्फ अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली बल्कि अपने गांव और जिले की अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन गईं।
बबीता की कहानी यह साबित करती है कि जब एक महिला ठान ले, तो वह खेतों से लेकर उद्यमिता तक हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना सकती है। उनकी मशरूम खेती ने न सिर्फ उनके जीवन में समृद्धि लाई, बल्कि आसपास के गांवों में भी आत्मनिर्भरता की नई लहर जगाई है।